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    Diwali 2023: सेहत पर भारी पड़ सकती है 'रंगीन मिठाई'; खरीदने से पहले ऐसे करें असली-नकली की पहचान, पढ़ें कैसे की जाती है मिलावट

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Mon, 06 Nov 2023 02:00 PM (IST)

    Fake Milk Product इन दिनों देहात में खोवा बनाने वाली भट्ठियां खूब धधक रही हैं। सूत्रों की मानें तो तमाम जगह सिंथेटिक मावा तैयार होने लगा है। जलेसर सकीट मारहरा अलीगंज सहित अन्य क्षेत्रों में त्योहार से पहले ही नकली दूध और मावा का कारोबार बढ़ गया है। यहां तैयार खोवा जिले में ही नहीं खपेगा बल्कि आसपास भी भेजा जाएगा।

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    दीपावली आई, स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकती है मिठाई

    जागरण संवाददाता, एटा। दीपावली पर मिठाई खाएं तो जरा संभलकर। पर्व पर मिठाइयों की बाजार में भरमार होगी। रंग-बिरंगी और लुभावनी मिठाइयों के स्वाद के साथ विक्रेताओं के निजी स्वार्थ जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ को रफ्तार देने की तैयारी में है।

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    चिंता की बात यह है कि मिलावटखोर आपकी सेहत से खिलवाड़ कर सकते हैं। ज्यादा मुनाफे के फेर में कई जगह मिलावटी मिठाइयों और खाद्य पदार्थ की बिक्री की आशंका है। बीमार होने से अच्छा है कि पहले मिठाई की गुणवत्ता जांच लें और ऐसी दुकान से मिठाई और अन्य खाद्य पदार्थ खरीदें जो भरोसे की हो।

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    मिठाइयां सावधानी बरतते हुए ही खरीदें। ऐसा न हो कि सेहत ही खराब हो जाए। खास बात तो यह है कि त्योहार को एक सप्ताह भी शेष नहीं है, लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग की मिलावटी खाद्य पदार्थों को रोकने के लिए कोई भी तैयारी नहीं दिख रही।

    इस तरह की जाती मिलावट

    दूध-यूरिया, शैंपू, डिटर्जेंट व रिफाइंड से सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है। ऐसा 10 किलो दूध 200 रुपये से कम में तैयार हो जाता है। असली दूध 60 रुपये लीटर है। नकली मावा सिंथेटिक दूध, सूजी, तेल, रंग, आलू, शकरकंद की मिलावट की जाती है। एक किलो नकली मावा बनाने पर 60 से 70 रुपये खर्चा आता है।

    असली बताकर इसे 250-300 रुपये किलो तक बेचा जाता है। सिंथेटिक दूध व स्टार्च (अरारोट) का उपयोग करके रसगुल्ला तैयार किया जाता है। होलसेल में यह 80 रुपये किलो बिकता है। रिटेल में 250 रुपये से अधिक तक बिक्री होती है।

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    बड़े विक्रेता भी नहीं चूकते

    त्योहार पर मिठाइयों की ज्यादा डिमांड के मध्य छोटे व अस्थाई कारोबारी तो मिलावट के धंधे में संयुक्त रहते ही हैं। वहीं अधिक डिमांड के कारण बड़े कारोबारी भी पूर्ति के लिए गोरख धंधे का सहारा लेने से नहीं चूकते। मिलावटी मिठाइयों की बिक्री गांव-देहात, बस स्टैंड व सार्वजनिक स्थानों पर अधिक होती है। खास बात तो यह है कि खाद्य सुरक्षा विभाग त्योहार से एक-दो दिन पहले सक्रिय नजर आता है, उससे पहले बड़ा कारोबार हो जाता है।

    ऐसे परखें मिठाई की शुद्धता 

    • मिठाई का रंग अगर ज्यादा ही डार्क है तो उसे खरीदने से बचें
    • मिठाई बासी है तो उस पर सूखापन नजर आता है, यह भी देखें
    • छुड़ाने से अगर मिठाई से वर्क निकल जाता है, तो वह नकली है
    • चांदी की वर्क हाथ से घुल जाती है, यह हाथ से देख सकते हैं
    • सूंघने पर मिठाई की खुशबू भी उसकी गुणवत्ता बताती है

    मिलावटी मिठाइयों से यह नुकसान

    मिलावटी मिठाई खाने से फूड प्वाइजनिंग, जी-मिचलाना, बेचैनी, चक्कर आना, उल्टी-दस्त हो सकते हैं। केमिकल व अन्य खाद्य वस्तुओं के लंबे समय तक सेवन से किडनी फेल्योर, ब्रेन स्ट्रोक, आंतों में संक्रमण व कैंसर तक की आशंका रहती है। डा. रजत गुप्ता, फिजीशियन

    दीपावली के मद्देनजर जल्द ही मावा या मिठाई बनाने वाली फैक्ट्रियों पर छापेमारी शुरू होगी। जनता की सेहत से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। मिलावट मिलने पर दोषी के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होगी। डा. श्वेता सैनी, उपायुक्त खाद्य सुरक्षा