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    एटा में बुखार का प्रकोप: मेडिकल कालेज पंहुचे 1050 मरीज, डॉक्टर की सलाह से रखे सेहत का ख्याल

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 11:04 AM (IST)

    एटा मेडिकल कॉलेज में मरीजों की भारी भीड़ उमड़ रही है। डेंगू के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं की कमी के कारण गंभीर मरीजों को रेफर किया जा रहा है। डॉक्टरों ने बुखार से बचाव के लिए साफ-सफाई रखने और तुरंत इलाज कराने की सलाह दी है। हैंड फुट माउथ सिड्रोम के मरीज भी बढ़ रहे हैं।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए फाइल फोटो का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, एटा। जनपद में बुखार और मौसमी बीमारियों का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। जिला मुख्यालय स्थित वीरांगना अवंतीबाई लोधी स्वशासी मेडिकल कॉलेज में रोजाना हजारों की संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं।

    शनिवार को आंकड़ा तीन हजार के पार पहुंच गया। इनमें करीब 500 महिलाएं, 300 पुरुष और 250 बच्चे बुखार के शामिल रहे। बुखार पीड़ित मरीजों की संख्या 1050 रही। अधिकतर मरीज बुखार, सर्दी-जुकाम और संक्रमण की शिकायत लेकर ओपीडी में इलाज कराने आए। एक मरीज डेंगू संक्रमित मिला है।

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    निजी क्लीनिक से भेजा गया बुखार पीड़ित बच्चा किया गया रेफर

    मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। शनिवार को मेडिकल कॉलेज में आए एक मरीज सचिन कुमार निवासी नगला सुमिरत जैथरा की जांच में डेंगू की पुष्टि हुई है। परिजनों ने बताया कि यह मरीज करीब 15 दिनों से लगातार बुखार से पीड़ित था। जांच रिपोर्ट आने के बाद डाक्टरों ने उसका इलाज शुरू कर दिया है।

    वहीं, शुक्रवार की रात मारहरा क्षेत्र के गांव गोकनी निवासी रोहताश कुमार का तीन वर्षीय पुत्र जतिन को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां हाल बिगड़ने पर शनिवार की दोपहर मेडिकल कालेज भेजा गया। हालत गंभीर होने पर शनिवार दोपहर उसे मेडिकल कालेज भेजा गया, लेकिन सुविधाओं के अभाव में उसे तुरंत आगरा रेफर करना पड़ा।

    शनिवार को तीन हजार मरीज मेडिकल कॉलेज इलाज के लिए पहुंचे

    बढ़ती मरीज संख्या और डेंगू के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग के सामने चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। अगर समय रहते व्यवस्थाएं नहीं सुधारी गईं तो हालात और गंभीर हो सकते हैं। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में बुखार पीड़ित मरीजों की भीड़ लगी हुई है और हर दिन नए मामले सामने आ रहे हैं। चिकित्सक सलाह दे रहे हैं कि साफ-सफाई का ध्यान रखें, घरों के आसपास पानी न जमा होने दें और किसी भी प्रकार के बुखार को हल्के में न लें, तुरंत जांच और इलाज कराएं।

    बच्चा वार्ड में नहीं बैठते एसआर

    वीरांगना अवंतीबाई लोधी मेडिकल कॉलेज के बच्चा वार्ड में एचओडी की लापरवाही उजागर हो रही है। वार्ड में सीनियर रेजिडेंट (एसआर) नियमित रूप से नहीं बैठते। ऐसे में गंभीर मरीज आने पर जूनियर डाक्टर अपने अनुभव के अनुसार बच्चों का इलाज समय पर नहीं कर पाते।

    कई बार गंभीर मरीजों को बिना उचित देखरेख के ही रेफर करना पड़ता है। ड्यूटी के समय वार्ड में केवल जूनियर डॉक्टर या स्टाफ ही मौजूद रहते हैं, जबकि गंभीर स्थिति में विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत होती है। लगातार बढ़ रही बुखार और डेंगू पीड़ित बच्चों की संख्या को देखते हुए एसआर की मौजूदगी बेहद आवश्यक है।

    वेंटीलेटर क्रियाशील नहीं होने से मरीजों को दिक्कत

    मेडिकल कॉलेज लगे वेंटीलेटर लंबे समय से खराब पड़े हैं। गंभीर हालत वाले मरीजों को इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। वेंटीलेटर की सुविधा उपलब्ध न होने के कारण बच्चों को तुरंत बाहर के बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है, जिससे उनके जीवन पर खतरा बढ़ जाता है। वॉर्ड में वेंटीलेटर की कोई सुविधा नहीं है। शनिवार को भी ऐसा ही देखने को मिला, जब बुखार की गंभीर हालत में गोकनी गांव का बच्चा पहुंचा तो उसको वेंटीलेटर की सुविधा नहीं होने के चलते आगरा रेफर करना पड़ा।

    मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने के प्रयास किए जा रहे हैं। पीडियाट्रिक वार्ड में एसआर की तैनाती है, लेकिन भ्रमण भी करते हैं, ऐसे में कभी-कभी नहीं उपलब्ध हो पाते। वेंटीलेटर ऑक्सीजन की कमी के चलते क्रियाशील नहीं हैं, इसके लिए व्यवस्थाएं की जा रही हैं। डॉ. सुरेश चंद्रा, सीएमएस मेडिकल कॉलेज

    डेंगू को लेकर बरतें सतर्कता

    मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर आदित्य स्वामी ने बताया कि डेंगू मच्छर एडीज एजिप्टी के काटने से फैलने वाली बीमारी है।

    • इसके लक्षण अचानक तेज बुखार (102 से 105 डिग्री तक), आंखों के पीछे सिरदर्द, जोड़ व मांसपेशियों में दर्द, भूख की कमी, मतली, उल्टी और त्वचा पर लाल चकत्ते के रूप में सामने आते हैं।
    • कई मरीजों को तेज थकान व कमजोरी भी महसूस होती है। गंभीर स्थिति में नाक-मसूड़ों से खून आना, उल्टी या मल में खून आना और प्लेटलेट्स की संख्या का तेजी से कम होना शामिल है।
    • ऐसे लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएं और जांच कराएं। समय पर इलाज से रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। तेज बुखार होने पर गीला कपड़ा सिर पर जरूर रखें।

    वायरल बुखार से बचाव के उपाय व सावधानियां

    • हाथों को साबुन और पानी से बार-बार धोएं।
    • जहां ज्यादा भीड़ हो, वहां जाने से परहेज करें।
    • खांसते-छींकते समय रुमाल या मास्क का इस्तेमाल करें।
    • दूषित पानी और बाहर का बासी खाना न खाएं।
    • मच्छरदानी और रिपेलेंट का इस्तेमाल करें।

    एचएफएमएस के बढे़ मरीज

    मेडिकल कालेज में हैंड, फुट, माउथ सिड्रोम के मरीज लगातार पहुंच रहे हैं। अब संख्या बढ़कर 65 पहुंच तक पहुंच गई है। त्वचा रोड विशेषज्ञ डॉक्टर प्रीती कुशवाह ने बताया कि मरीजों के आने का सिलसिला जारी है। बचाव की जानकारी तीमारदारों को दी जा रही है। ताकि बच्चों को वायरस से बचाया जा सके। इलाज से ज्यादा बचाव आवश्यक है।