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    Etah Lok Sabha Seat: बसपा के पत्ते खुलने बाकी, भाजपा-सपा के सजने लगे दरबार; इस वजह से कांग्रेसी अंदर ही अंदर बेचैन

    बसपा ने सार्वजनिक तौर पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। जातीय दृष्टि से देखें तो अभी तक भाजपा से लोधी और सपा से शाक्य मैदान में हैं। यहां यह विशेष है कि पहली बार लोकसभा चुनाव में सपा यादव मोह से बाहर निकली है। कोई मुस्लिम प्रत्याशी अभी तक सामने नहीं आया है। चर्चा है कि बसपा मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है।

    By pravesh dixit Edited By: Aysha Sheikh Updated: Mon, 04 Mar 2024 03:55 PM (IST)
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    Etah Lok Sabha Seat: बसपा के पत्ते खुलने बाकी, भाजपा-सपा के सजने लगे दरबार

    जागरण संवाददाता, एटा। भाजपा और समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। चुनाव मैदान सजने लगा है। हालांकि, अभी बसपा ने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस की स्थिति साफ है कि वह और सपा साथ हैं। सपा ने पहले ही प्रत्याशी उतार दिया है। लोकसभा चुनाव को लेकर अब माहौल बनना शुरू हो गया है। भाजपा और सपा के चुनावी दरबार अब सजने लगे हैं।

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    भाजपा ने सांसद राजवीर सिंह और सपा ने देवेश शाक्य को एटा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। बहुजन समाज पार्टी अपना गुणा-भाग लगाकर मजबूत प्रत्याशी की तलाश में है। हालांकि उसके पास गिने-चुने चेहरे ही हैं। इन चेहरों से इतर भी प्रत्याशियों की तलाश है। पार्टी के नेता दूसरे दलों के नेताओं से संपर्क में हैं कि शायद कोई नया चेहरा मिल जाए।

    बसपा ने सार्वजनिक तौर पर अपने पत्ते नहीं खोले

    बसपा ने सार्वजनिक तौर पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। जातीय दृष्टि से देखें तो अभी तक भाजपा से लोधी और सपा से शाक्य मैदान में हैं। यहां यह विशेष है कि पहली बार लोकसभा चुनाव में सपा यादव मोह से बाहर निकली है। कोई मुस्लिम प्रत्याशी अभी तक सामने नहीं आया है। चर्चा है कि बसपा मुस्लिम प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है। कांग्रेस में लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगने वालों की लंबी कतार थी।

    स्थानीय कई नेताओं ने अपने आवेदन नेतृत्व को सौंप दिए थे। टिकट की दौड़ में कांग्रेस के जिला स्तर के कई पदाधिकारी शामिल थे। अब कांग्रेस और सपा के बीच गठबंधन हो चुका है। ऐसे में सार्वजनिक तौर पर स्थानीय नेता अपनी जुबां नहीं खोल रहे, लेकिन अंदर ही अंदर उनमें बेचैनी है। कांग्रेसी कह रहे हैं कि उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

    समाजवादी पार्टी के जो कार्यक्रम हो रहे हैं, उनमें फिलहाल कांग्रेसियों की उपस्थिति दिखाई नहीं दे रही है। कई नेता तो इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि यह गठबंधन चुनाव तक चल पाए या नहीं। इस सीट पर रण की स्थिति तब ही साफ होगी, जब बसपा का टिकट घोषित होगा, तब ही मैदान पूरी तरह से सज पाएगा। पूर्व राज्यमंत्री एवं बसपा नेता राजवीर सिंह का कहना है कि पार्टी नेतृत्व प्रत्याशी को लेकर विचार कर रहा है।

    शीघ्र ही स्थिति साफ हो जाएगी। दूसरी तरफ भाजपा जिलाध्यक्ष संदीप जैन का कहना है कि विपक्ष से चाहे कोई भी प्रत्याशी आए, मगर भाजपा के समक्ष नहीं टिक पाएगा। सपा जिलाध्यक्ष परवेज जुबैरी ने कहा कि इस बार समीकरण बदलेंगे। देवेश शाक्य सपा के मजबूत प्रत्याशी बनकर उभरेंगे।