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    जीएसटी घोटाला: जलेसर में फर्जी फर्मों का भंडाफोड़, पांच वर्षों से चल रहा था GST में हेरा-फेरी का खेल

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 08:49 AM (IST)

    एटा के जलेसर में जीएसटी चोरी का बड़ा मामला सामने आया है। अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी फर्में बनाकर जीएसटी में हेराफेरी की जा रही थी। पांच साल से चल रहे इस खेल में कागजों पर माल खरीदकर फर्जी बिलिंग से रिफंड लिया जाता था। छापेमारी में कई लोग गिरफ्तार हुए और जांच जारी है।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, एटा। Etah News: जलेसर में जीएसटी में हेरा-फेरी का खेल काफी समय से चल रहा था, लेकिन अधिकारी मामले को हमेशा दबाते रहे। इस कारण घपला करने वाले पनपते रहे और बारे-न्यारे कर लिए। मामला अगर पकड़ में नहीं आता तो यह खेल और लंबा चल सकता था।

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    जिन बोगम फर्मों का पंजीकरण कराया गया वे दो वर्ष से पूर्व की हैं। जव कि जीएसटी का यह खेल पिछले पांंच साल पहले से चल रहा था। सिर्फ कागजों पर ही माल खरीदा जाता था और फर्जी बिलिंग करके बिक्री दिखा दी जाती थी। 18 प्रतिशत जीएसटी पर माल खरीदा जाता था और नौ प्रतिशत का रिफंड वापस कर लेते थे।

    आरोपितों को बचाते रहे विभागीय अधिकारी

    बाहर की टीमों के संज्ञान में जब यह मामला आया तब विभाग में हलचल पैदा हुई। अंदर ही अंदर विभाग ने जांच शुरू कर दी, जिसको लेकर असिस्टेंट कमिश्नर राज्यकर सुशील कुमार खंड दो द्वारा 75 लाख 34 हजार 931 रुपये एवं तत्कालीन राज्यकर अधिकारी प्रशांत कुमारी खंड दो एटा द्वारा एक करोड़ 81 लाख 86 हजार 366 रुपये का रिफंड प्रधान सहायक दुष्यंत कुमार कार्यालय उपायुक्त राज्यकर खंड इटावा के सहयोग से घपला पाया गया।

    जब निलंबन की कार्रवाई कर दी तब जीएसटी डायरेक्टर इंटेलीजेंस के यहां से कार्रवाई शुरू हुई। जीएसटी पर से घपले का खतरा अभी टला नहीं है और भी बोगस फर्में हो सकती हैं, ऐसा विभागीय अधिकारियों का अनुमान है। इसलिए आनलाइन मानीटरिंग की जा रही है।

    काफी समय तक दबा रहा मामला

    बोगस फर्मों ने आईटीसी रिफंड हासिल कर लिया और काफी समय तक मामला दबा रहा। एक वर्ष से इस मामले की सुगबुगाहट विभागीय अधिकारियों के बीच थी, लेकिन फर्में पकड़ में नहीं आ रही थीं। इस कारण साक्ष्य नहीं मिल पा रहे थे। पिछले सप्ताह जब छापे मारे गए उससे 20 दिन पूर्व जीएसटी विभाग की टीमें जलेसर पहुंची थीं, लेकिन बोगस फर्मों के संचालक भाग गए। इस कारण यह टीमें वापस लौट गईं और फिर निदेशक जीएसटी तक यह मामला पहुंच गया। तब आगे की कार्रवाई हुई।

    भारी-भरकम अमले ने की थी छापेमारी

    हाल ही में जब छापेमारी की गई तब जीएसटी विभाग कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था, इसलिए लखनऊ में रणनीति बनाई गई। 18 गाड़ियों में सवार होकर विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों की टीमें कस्बा में पहुंची और सुबह एक साथ छह बजे सटीक सूचना के आधार पर बोगस फर्मों के संचालकों सोनू कुशवाह, अन्नू वार्ष्णेय, विकास बघेल, दीपांकर भारती, सुमित कुमार को पकड़ लिया। यह लोग जलेसर कस्बा के ही रहने वाले हैं। इनसे जब पूछताछ की गई तो वे टीमों को संतुष्ट नहीं कर सके।

    कई स्तर पर चल रही थी मामले की जांच

    दूसरी तरफ इस छापेमारी का बड़े पीतल व्यवसायियों पर कोई असर नहीं पड़ा। जो बोगस फर्में हैं उनके संचालकों ने यह फर्में गिलट और पीतल के आभूषण बनाने के नाम पर पंजीकृत कराईं थीं। जीएसटी टीमों ने मंडी जवाहरगंज, महावीरगंज, अकबरपुर हवेली, सराय खानम में छापेमारी की थी। यह कार्रवाई डायरेक्टर जनरल आफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआई) के निर्देशन में हुई थी। गिलट कारोबारियों ने रेहड़ी वालों के नाम पर फर्में बना ली थीं।

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