एटा–जलेसर हाईवे का काम अधूरा, 51 KM के रास्ते में उड़ रहा धूल का गुबार
एटा-जलेसर को जोड़ने वाला 51 किमी का हाईवे दो साल से अधूरा है। NHAI द्वारा निर्माण शुरू होने के बाद भी काम कछुआ गति से चल रहा है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं। धूल और गड्ढों से भरी सड़क से व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी गतिविधियाँ बाधित हो रही हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारी उदासीन हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ बढ़ रही हैं और दुर्घटनाएँ हो रही हैं।

अनिल यादव, एटा। एटा को निधौली कलां और जलेसर होते हुए आगरा, हाथरस, मथुरा तथा भरतपुर से जोड़ने वाला 51 किलोमीटर लंबा महत्वपूर्ण मार्ग दो वर्षों से अधूरा पड़ा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचए) द्वारा मई 2023 में निर्माण कार्य की शुरुआत की गई थी, लेकिन निर्माण की गति कछुआ चाल से भी धीमी रही। अब हालात यह हैं कि कई किलोमीटर तक सड़क केवल गिट्टी और मिट्टी पर ही चल रही है। हर दिन हजारों वाहन धूल और गड्ढों से जूझते हुए गुजरने को मजबूर हैं।
यह मार्ग न केवल एटा–जलेसर का सीधा संपर्क मार्ग है, बल्कि इनके साथ जुड़े सैकड़ों गांवों की जीवनरेखा है। व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि से जुड़े लोग इस रास्ते पर निर्भर हैं। करीब दस लाख से अधिक आबादी का सीधा या परोक्ष आर्थिक तंत्र इसी सड़क से संचालित होता है। फिर भी विभाग की उदासीनता और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण करोड़ों रुपये की यह परियोजना अधर में लटकी है।
निर्माण कार्य करीब दस माह से लगातार ठप है। जगह-जगह गहरे गड्ढे बन चुके हैं। बारिश के दौरान इन गड्ढों में पानी भरने से बार-बार वाहन फिसलने की घटनाएं सामने आई। जिन गांवों से यह सड़क गुजरती है, वहां धूल के गुबार ने लोगों को स्वास्थ्य संकट में डाल दिया है।
बोले लोग…
सड़क से उठने वाली धूल ने जीना दूभर कर दिया है। गांवों में सांस और त्वचा संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। हादसे रोज होते हैं, लेकिन विभाग सोया हुआ है।
अमन सागर, हीरा नगर
लाख शिकायतों के बाद भी न काम शुरू होता है, न किसी अधिकारी-ठेकेदार पर कार्रवाई। यह सरासर लापरवाही है।
राजीव दास, निधौली कलां रोडजिम्मेदार कौन?
स्थानीय जनता का आरोप है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारी पूरी तरह उदासीन हैं। निर्माण की धीमी गति पर जिला प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। परियोजना की समयसीमा पूरी होने के बावजूद काम का महज एक हिस्सा ही हो पाया है।
समाधान क्या?
यदि एनएचए समयबद्ध तरीके से निर्माण शुरू कराए और मौके पर नियमित निगरानी रखे, तो इस मार्ग को जल्दी ही उपयोगी बनाया जा सकता है। लाखों लोगों की परेशानी कुछ ही महीनों में खत्म हो सकती है।
निर्माण में तकनीकी खामियां आने और एनजीटी व सिंचाई विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने में देरी के चलते विलंब हुआ है। नूंहखास की ओर डामरीकरण का ट्रायल शुरू कराया गया है। परीक्षण के बाद विधिवत कार्य कराया जाएगा।
-रवीन्द्र जायसवाल, अधिशाषी अभियंता एनएचए इटावा

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