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    यूपी की इस सीट पर पूरब बनाम पश्चिम हुई लड़ाई, मायावती के इस दांव ने रोमांचक बनाया मुकाबला; सपा-भाजपा की बढ़ी धड़कन

    Lok Sabha Election लोकसभा सीट का मैदान पूरब बनाम पश्चिम की लड़ाई में बदल रहा है। एटा का पूरब यानि इटावा और पश्चिम यानि आगरा। इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी राजवीर सिंह अलीगढ़ के रहने वाले हैं तो सपा से मैदान में उतरे देवेश शाक्य इटावा से हैं। सपा ने इस बार शाक्य मतों को संभालने के लिए नया दांव खेलते हुए देवेश शाक्य को मैदान में उतारा है।

    By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 10 Apr 2024 11:22 AM (IST)
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    यूपी की इस सीट पर पूरब बनाम पश्चिम हुई लड़ाई, मायावती के इस दांव ने रोमांचक बनाया मुकाबला

    लोकसभा सीट का मैदान पूरब बनाम पश्चिम की लड़ाई में बदल रहा है। एटा का पूरब यानि इटावा और पश्चिम यानि आगरा। इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी राजवीर सिंह अलीगढ़ के रहने वाले हैं तो सपा से मैदान में उतरे देवेश शाक्य इटावा से हैं। सपा ने इस बार शाक्य मतों को संभालने के लिए नया दांव खेलते हुए देवेश शाक्य को मैदान में उतारा है।

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    शाक्य मतों की संख्या कासगंज जिले के पटियाली, अमांपुर विधानसभा में अधिक है। यह लोकसभा क्षेत्र के उत्तर में स्थित हैं। पूर्व में शाक्य मतदाता भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव में विजयी समीकरण बनते रहे हैं। वहीं बसपा ने स्थानीय मुस्लिम प्रत्याशी उतारते हुए चुनाव को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास किया है। एटा सीट पर चुनाव के माहौल को लेकर अनिल गुप्ता की रिपोर्ट...

    इस सीट पर वर्ष 2014 और 2019 में भारतीय जनता पार्टी के राजवीर सिंह ने जीत हासिल की थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के देवेंद्र सिंह यादव के 2,73,977 वोट प्राप्त हुए थे। उस समय भाजपा के राजवीर सिंह 2,01,001 वोटों से जीते थे। उस समय शाक्य मतदाताओं ने भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया।

    2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से देवेंद्र सिंह को 4,22,678 वोट मिले थे। राजवीर सिंह को 5,45,348 वोट प्राप्त हुए। 2014 की अपेक्षा 2019 में जीत-हार का अंतर कम हो गया। इन दोनों चुनावों में यादव प्रत्याशी थे, लेकिन शाक्य मतदाताओं का समर्थन भाजपा को प्राप्त था। इस बार सपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है।

    सपा ने शाक्य को दिया टिकट

    समाजवादी पार्टी यहां यादव प्रत्याशी पर दांव लगाती रही है। इस बार शाक्य प्रत्याशी को अवसर दिया है। सपा की रणनीति के केंद्र में शाक्य, यादव के साथ मुस्लिम वोट को साधना है। लोकसभा क्षेत्र में शाक्य मतदाताओं की संख्या दो लाख लगभग है। एटा लोकसभा क्षेत्र में एटा, मारहरा, कासगंज, अमांपुर, पटियाली विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इस बार शाक्य प्रत्याशी के आने से सपा अपने को प्लस में मानकर चल रही है।

    मगर, पिछले दो चुनावों में सपा से जिन देवेंद्र यादव ने भाजपा के सामने ताल ठोंकी थी वे इस बार भाजपा में आ गए हैं। भाजपा कह रही है, सपा के शाक्य प्रत्याशी से भाजपा के सामने कोई मुश्किल नहीं है। पार्टी जातीय आधार पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है।

    भाजपा ने चुनाव क्षेत्र में चुनाव से पहले क्षेत्र में सपा प्रत्याशी के कभी सक्रिय न रहने का मुद्दा भी उछाल दिया है। बाहरी के नाम पर पार्टी अपना पक्ष भी साफ कर रही है। मतदाताओं को बताया जा रहा है कि राजवीर सिंह बेशक अलीगढ़ के रहने वाले हैं, लेकिन एटा में उनकी सक्रियता वर्ष 2009 से तब से बनी हुई है, जब उनके पिता कल्याण सिंह ने यहां से चुनाव लड़ा था।

    बसपा ने बिगाड़ा खेल

    एक दिन पहले तक यही स्थिति थी। इस चुनाव में पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) का नारा लेकर चली सपा मुस्लिमों को अपने पाले में मान रही थी। मंगलवार को बसपा ने स्थानीय मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। इससे समीकरण बनते-बिगड़ते नजर आ रहे हैं। राजनीति के जानकार इसे सपा में सेंधमारी के नजरिए से देख रहे हैं। वैसे लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख से अधिक है।

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