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    Dengue In Etah: डेंगू और मलेरिया हुआ बेकाबू, मेडिकल कॉलेज में सुबह से लग रही मरीजों की भीड़

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 12:42 PM (IST)

    डेंगू और मलेरिया के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। मेडिकल कॉलेज में तीन डेंगू और तीन मलेरिया के मरीज़ भर्ती हुए हैं। एक आठ साल के बच्चे की हालत गंभीर होने पर उसे रेफर किया गया। डॉक्टर निर्मल जैन ने संचारी रोगों से बचाव पर ज़ोर दिया है। सरकारी आंकड़ों और वास्तविक मरीजों की संख्या में अंतर है। गंदगी वाले इलाकों में डेंगू और मलेरिया का खतरा ज़्यादा है।

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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, एटा। जिले में डेंगू और मलेरिया के मरीजों की बढ़ती संख्या स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बनती जा रही है। मंगलवार सुबह मेडिकल कालेज की इमरजेंसी में तीन डेंगू मरीज पहुंचे। इनमें से आठ वर्षीय बालक की हालत गंभीर बताई गई, जिसे प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया गया। वहीं दो अन्य मरीजों को संचारी रोग वार्ड में भर्ती कर उपचार शुरू कर गया है। इसके अलावा मलेरिया के तीन मरीज भी भर्ती हुए हैं। सभी का इलाज किया जा रहा है।

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    मलेरिया भी हुआ बेकाबू, तीन और संक्रमित निकले

    मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में सुबह तीन डेंगू मरीजों को लाया गया। इनमें नौ बजे अदनान आठ वर्ष पुत्र रिजवान निवासी फगनौल जैथरा को लाया गया। निजी लैब की जांच में डेंगू की पुष्टि रिपोर्ट चिकित्सकों को दिखाई और मल में खून आने की बात स्वजन ने बताई। बालक की हालत गंभीर होने के चलते डाक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया गया।

    इसके बाद 11 बजे रामनिवास पुत्र ईश्वर दयाल निवासी रतिभानपुर हाथरस को लाया गया। इसको प्राथमिक उपचार के बाद संचारी वार्ड में भर्ती कराया गया। जब कि साढे ग्यारह बजे रमन 15 वर्ष पुत्र चंद्रपाल निवासी नगला माची कोतवाली देहात को लाया गया। डॉक्टरों ने इलाज के बाद उच्च उपचार कराने की सलाह पर स्वजन निजी अस्पताल में ले गए।

    मेडिकल कॉलेज में सुबह से ही लग जाती है मरीजों की भारी भीड़

    इसके साथ ही मलेरिया की बात करें तो मेडिकल कॉलेज के वार्ड में शिवांगी 20 वर्ष पुत्री नरेंद्र कुमार निवासी चमकरी, खुशबू 16 वर्ष पुत्री विजय सिंह निवासी मुहल्ला श्याम नगर और खुशी पुत्री रमेश चंद्र निवासी पीपल अड्डा को सोमवार की देरशाम भर्ती कराया गया। इनका उपचार किया जा रहा है। लगातार मौसम में बदलाव के साथ ही बुखार, सर्दी-जुकाम और वायरल के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

    मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में मंगलवार को लगभग 700 मरीजों का इलाज किया गया। मेडिकल प्रशासन का कहना है कि डेंगू और मलेरिया के मरीजों के लिए अलग से बेड की व्यवस्था की गई है ताकि अन्य मरीजों को असुविधा न हो।

    निजी अस्पताल व क्लीनिकों भी डेंगू-मलेरिया के मरीजों की भीड़

    उप्र आईएमए वर्किंग कमेटी के सदस्य एवं शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डा. निर्मल जैन ने जागरण से वार्ता कर कहा कि संचारी रोगों के बचाव पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इससे ही डेंगू और मलेरिया को रोका जा सकता है। ठहरे हुए पानी में डीजल अथवा मोबीआइल डालकर मच्छरों को पनपने से रोका जा सकता है। मेरे पास हर दिन दो-एक डेंगू के मरीज आते हैं, साथ ही मलेरिया का आंकड़ा चा-पांच का रहता है। इससे साफ है कि लोग जागरुक नहीं हैं और सरकारी व्यवस्थाएं बेहतर नहीं हैं। हर निजी क्लीनिक व अस्पताल में भीड़ देखी जा सकता है।

    सरकारी आंकड़ों में अब तक चार डेंगू मरीज

    संचारी रोगों की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार की ओर से पहले से ही तैयारियां की जाती हैं। आंकड़ों को छिपाने का खेल होता रहता है और सही स्थिति की रिपोर्ट शासन तक नहीं भेजी जाती है। यही वजह है कि अब तक जिला में महज चार डेंगू के मरीज निकले हैं, जबकि हर दिन डेंगू के मरीज सामने आ रहे हैं।

    डॉक्टर निर्मल जैन की बात को माना जाए तो हर दिन एक-दो मरीज डेंगू के अस्पताल हाते हैं। ऐसे कितने अस्पताल और क्लीनिक हैं, इन पर मरीज इलाज करा रहे होंगे।

    मलेरिया अधिकारी लोकमन सिंह का कहना है कि अब तक जिला में चार डेंगू और 33 मलेरिया के मरीज सामने आए हैं। इनको उपचार देकर स्वास्थ्य किया जा चुका है।

    गंदगी वाली जगहों पर डेंगू और मलेरिया का खतरा

    • पीड़ियाट्रिक वार्ड की सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर खुशबू का कहना है कि इस समय मच्छरों से फैलने वाले रोग तेजी से पांव पसार रहे हैं।
    • गंदगी और पानी के जमाव वाली जगहों पर डेंगू और मलेरिया का खतरा अधिक बढ़ गया है।
    • बड़ों के साथ ही बच्चों को संचारी रोगों से बचाने के लिए बचाव आश्यक है।
    • बुखार होने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल पहुंचने की सलाह दी गई है।
    • ऐसे मरीजों को समय पर उपचार बहुत जरूरी है।

    संचारी वार्ड में सभी आवश्यक दवाओं और जांच की पर्याप्त व्यवस्था है। मरीजों के लिए प्लेटलेट्स जांच और अन्य ब्लड टेस्ट तुरंत उपलब्ध कराए जा रहे हैं। शहर और गांवों में नालियों की सफाई और कीटनाशक छिड़काव की कमी से मच्छरों की संख्या बढ़ती है। इससे बचाव बेहद जरूरी है। डॉ. बलवीर सिंह, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज