एटा जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम, ओपीडी में पंखे भी बंद
सोमवार को मरीजों की रही भीड़ तोड़फोड़ के कारण व्याप्त है गंदगी ...और पढ़ें

जासं, एटा : इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है और जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम है। ओपीडी में पंखे तक नहीं चल रहे। इस कारण मरीज काफी परेशान हैं। ओपीडी के अलावा अन्य कोई ऐसा स्थान भी नहीं है जहां मरीजों के तीमारदार ठीक से बैठ पाएं, जबकि उच्चीकृत अस्पताल के कारण भवनों की की गई तोड़फोड़ की वजह से गंदगी भी काफी रहती है।
सोमवार को सुबह से ही मरीजों की भीड़ जिला अस्पताल पहुंचने लगी। इनमें बुखार और उल्टी, दस्त के मरीज सबसे ज्यादा थे। वहीं चिकित्सकों की केबिन का हाल यह था कि मरीज एक-दूसरे के ऊपर गिर रहे थे। दरअसल मरीजों की तादात अधिक होने के कारण चिकित्सकों के भी हाथ-पांव फूल जाते हैं। जिला अस्पताल में सिर्फ दो चिकित्सक ही आम मरीजों को देख रहे थे। इनमें सबसे ज्यादा भीड़ बाल रोग विशेषज्ञ के यहां रही। दिन में भीषण गर्मी थी और उमस भी अधिक थी, मगर ओपीडी के पंखे नहीं चल रहे थे। यही हाल सर्जिकल वार्ड का था। इस वार्ड के अंदर एक हाल और भी है वहां के भी पंखे बंद थे। कर्मचारियों का कहना था कि बार-बार विद्युत लाइन में फाल्ट आ रहा है जिसकी शिकायत भी अधिकारियों से की गई है। मरीजों और उनके साथ आए तीमारदार इस अव्यवस्था को लेकर रोष जताते देखे गए। गांव पुरांव से आए विजेंद्र सिंह ने कहा कि वे सुबह 10 बजे जिला अस्पताल आ गए थे और पर्चा बनवा लिया था, मगर 11.30 बजे तक वे अपनी मरीज को नहीं दिखा पाए, जबकि उनकी पत्नी को पांच दिन से बुखार आ रहा है। ओपीडी में मौजूद बच्चों का भी बुरा हाल था। पहले जो पर्चे बनते थे वे ओपीडी में ही बनते थे। इस कारण भीड़ अधिक रहती थी, लेकिन अब पर्चे बनाने की व्यवस्था अलग कर दी गई है, इसलिए भीड़ कम होनी चाहिए, लेकिन जब बीमार लोगों की तादात बढ़ती है तो जिला अस्पताल में भी भीड़ बढ़ जाती है। सीएमएस डा. राजेश अग्रवाल ने बताया कि जो भी संसाधन उपलब्ध हैं उनमें उचित व्यवस्थाएं की जा रहीं हैं। मेडिकल कालेज के भवन जब बनकर तैयार हो जाएंगे तो जिला अस्पताल अलग ही रूप में नजर आएगा। सफाई कर्मियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे कहीं गंदगी न होने दें। भर्ती करने के लिए सिर्फ एक वार्ड:
जिला अस्पताल में भर्ती करने को आम मरीजों के लिए अब सिर्फ एक ही वार्ड है। वर्न वार्ड अलग है, जिसमें आम मरीजों को भर्ती नहीं किया जा सकता। मेडिकल कालेज के लिए जिला अस्पताल को उच्चीकृत कराया जा रहा है इस वजह से महिला वार्ड व अन्य वार्ड तोड़ दिए गए हैं। चूंकि भर्ती करने की उचित व्यवस्था नहीं है इसलिए चिकित्सकों को भी मरीजों को रेफर करने की जल्दी रहती है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।