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    विकास पर आधारित मुद्दे नहीं जातीय समीकरण पहनाते ताज

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 23 Jan 2022 05:40 PM (IST)

    अलीगंज विधानसभा भाजपा ने प्रत्याशी दोहरा दिया है जबकि सपा बसपा और कांग्रेस के पत्ते खुलना शेष

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    विकास पर आधारित मुद्दे नहीं जातीय समीकरण पहनाते ताज

    जासं, एटा: अलीगंज एटा जनपद की ऐसी विधानसभा सीट है जहां स्थानीय या विकास के जुड़े मुद्दों की बात लोग भले ही जुबानी तौर पर करते हो, लेकिन ताज जातीय समीकरणों के आधार पर ही पहनाया जाता है। जातीय लहर के आगे मुद्दे भंवर में फंसे रह जाते हैं। ऐसा ही पिछले चुनाव में हुआ। इस साल भी मैदान सजा हुआ है, लेकिन योद्धाओं का अभी उतरना बाकी है। भाजपा ने अपना प्रत्याशी दोहरा दिया है, जबकि सपा, बसपा और कांग्रेस के पत्ते खुलना शेष हैं।

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    वर्ष 2017 के चुनाव पर नजर डालें तो जातीय समीकरणों की कहानी साफ दिखाई दे जाती है। इस सीट पर त्रिकोणीय संघर्ष हुआ मगर सीधे मुकाबले में सपा-भाजपा के प्रत्याशी रहे। भाजपा ने पिछले चुनाव में सत्यपाल सिंह राठौर पर दांव लगाया था और सपा ने पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारा। उस समय बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व मंत्री अवधपाल सिंह यादव को चुनाव लड़ाया। इस तरह से यहां मुकाबले में दो यादव और एक क्षत्रिय प्रत्याशी थे। भाजपा के सत्यपाल को 88695 तथा सपा के रामेश्वर सिंह यादव को 74844 और बसपा के अवधपाल सिंह यादव को 46275 वोट मिले। भाजपा को 41.25, सपा को 34.81 और बसपा को 21.52 फीसद वोट प्राप्त हुए थे। उस समय यादव वोट बैंक में बसपा के अवधपाल सिंह यादव ने सेंध लगाई थी और इसका लाभ सीधे सत्यपाल सिंह राठौर को मिला। साफ है कि अगर अवधपाल सिंह यादव चुनाव मैदान में नहीं होते तो रामेश्वर सिंह यादव का वोट फीसद बढ़ सकता था, हालांकि उस समय भाजपा की लहर भी थी। 2012 का गणित

    -वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में अलीगंज विधानसभा सीट का गणित कुछ और ही था। इस चुनाव में अवधपाल सिंह यादव मैदान में नहीं थे और बसपा की संघमित्रा मौर्य ने चुनाव लड़ा था। सपा से रामेश्वर सिंह यादव, जनक्रांति पार्टी से नीरज किशोर मिश्रा, भाजपा से जाहर सिंह चुनाव मैदान में थे। इस चुनाव में भाजपा का प्रत्याशी बेहद कमजोर था। उसे पांचवें नंबर पर संतोष करना पड़ा। भाजपा से ज्यादा वोट कांग्रेस के रज्जनपाल सिंह ले गए। इस चुनाव में क्षत्रिय, वैश्य, ब्राह्मण भाजपा के नहीं हुए और बंट गए। ब्राह्मणों का अधिकांश वोट नीरज किशोर मिश्रा ले गए। 2012 में इस सीट पर मुख्य मुकाबला सपा के रामेश्वर सिंह यादव और बसपा की संघमित्रा मौर्य के बीच हुआ और रामेश्वर ने संघमित्रा को 26021 वोटों से हरा दिया। आंकड़े साफ दर्शा रहे हैं कि यादव वोट एकतरफा गया। इस बार के हालात

    -फर्रुखाबाद और मैनपुरी जनपद की सीमाओं से सटी अलीगंज विधानसभा सीट पर सपा के पास परंपरागत एमवाई समीकरण है, अन्य जातियों का समर्थन भी पिछले चुनावों में मिलता रहा है। भाजपा पिछली बार के समीकरणों को सहेज रही है। इस सीट पर बसपा से मुस्लिम प्रत्याशी के आने की चर्चाएं हैं, अभी टिकट घोषित नहीं हुआ है। सपा से रामेश्वर सिंह यादव का आना तय है। कांग्रेस ने अभी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। मुकाबला तीन दलों के बीच ही होने के आसार हैं। 2017 की दलीय स्थिति

    प्रत्याशी-पार्टी-मिले वोट-वोट फीसद

    सत्यपाल सिंह राठौर-भाजपा-88475-41.25

    रामेश्वर सिंह यादव-सपा-74844-34.81

    अवधपाल सिंह यादव-बसपा-46275-21.52 2012 की दलीय स्थिति

    -प्रत्याशी-पार्टी-मिले वोट-वोट फीसद

    रामेश्वर सिंह यादव-सपा-91141-45.63

    संघ मित्रा मौर्या-बसपा-65120-32.60

    नीरज किशोर मिश्रा-जेकेपी-24535-12.28

    रज्जनपाल सिंह-कांग्रेस-8160-4.09

    जाहर सिंह-भाजपा-1947-0.97