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    ब्लाक केंद्रों पर एंबुलेंस खड़े करने को तैयार नहीं हुए चालक

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 29 Jul 2021 06:22 AM (IST)

    एंबुलेंस चालक एडीएम से मिले सीएमओ को सौंपनी थीं चाबियां धरने पर बैठे रहे एंबुलेंसकर्मी कंपनी पर जड़े फर्जीवाड़ा कराने के आरोप

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    ब्लाक केंद्रों पर एंबुलेंस खड़े करने को तैयार नहीं हुए चालक

    जासं, एटा: कई दिन से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे एंबुलेंस चालकों ने बुधवार को अपर जिलाधिकारी प्रशासन विवेक मिश्र से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन भी सौंपा। एंबुलेंस कर्मियों और प्रशासन के बीच हुई बातचीत के बाद कर्मचारियों ने चाबियां सौंपकर लखनऊ जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे प्रशासन ने मान लिया। सीएमओ को भी चाबियां लेने के लिए धरनास्थल सेंथरी पर भेज दिया, मगर कर्मचारी ब्लाक केंद्रों पर गाड़ियां खड़ी करने को राजी नहीं हुए। बाद में सीएमओ लौट गए। एंबुलेंस कर्मियों ने कंपनी द्वारा कराए जा रहे फर्जीवाड़े की शिकायत भी एडीएम से की है।

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    108 और 102 तथा एएलएस एंबुलेंस कर्मी कर्मचारियों की हो रही छंटनी का विरोध कर रहे हैं कि शहर से बाहर सेंथरी पर धरने पर बैठे हैं। वहीं उन्होंने अपनी गाड़ियां खड़ी कर रखी हैं। संघ के जिलाध्यक्ष विवेक पाल के नेतृत्व में एंबुलेंस कर्मचारी कलक्ट्रेट पहुंचे और अपर जिलाधिकारी प्रशासन से मिले। उन्हें ज्ञापन भी सौंपा। इसमें आरोप लगाते हुए मांग की गई कि जीवीकेईएमआरआई और नई टेंडर प्राप्त कंपनी जिकित्जा हेल्थ केयर लिमिटेड कर्मचारियों का शोषण कर रही है। एंबुलेंस कर्मचारियों का समायोजन नहीं किया जा रहा। ज्ञापन में 23 हजार रुपये महंगाई भत्ता, 50 लाख रुपये की बीमा सहायता राशि देने की भी मांग की है। कर्मचारियों ने एडीएम को बताया कि उन्हें लखनऊ प्रदर्शन में जाना है तो एडीएम ने प्रस्ताव रखा कि गाड़ियां प्रशासन के हैंडओवर कर दी जाएं।

    इसके लिए सीएमओ डा. उमेश चंद्र त्रिपाठी को तत्काल सेंथरी भेजा गया, ताकि वे एंबुलेंस की चाबियां ले लें। सीएमओ और एंबुलेंस कर्मियों में जब बातचीत हुई तो सीएमओ ने प्रस्ताव रखा कि जो भी गाड़ियां हैं उन्हें ब्लाक केंद्रों पर खड़ा कर दिया जाए, लेकिन यह प्रस्ताव कर्मचारियों ने नहीं माना। इस वजह से कर्मचारी सीएमओ को चाबियां नहीं सौंप सके। सीएमओ को बैरंग ही लौटना पड़ा। इसके बाद कर्मचारी फिर से धरने पर बैठ गए, लेकिन वे शाम तक दुविधा में थे कि गाड़ियों को छोड़कर 29 जुलाई को लखनऊ में होने वाले प्रदर्शन में कैसे जाएं। कर्मचारी मांग कर रहे थे कि प्रशासनिक अधिकारी सेंथरी आकर चाबियां लें। कंपनी बनाती है फर्जी केस बनाने का दबाव:

    एंबुलेंस कर्मचारियों ने एडीएम के समक्ष आरोप लगाया कि कंपनी फर्जी केस लाने का दबाव बनाती है, ताकि बिल अधिक बन सके। इसके लिए फर्जी काल कराई जाती है। इस मामले की अगर निष्पक्ष रूप से जांच-पड़ताल की जाए तो कंपनी का काला चिट्ठा खुल जाएगा। रजिस्टरों में जो केस दर्ज हैं उनकी ही अगर पड़ताल कर ली जाए तो तमाम केस ऐसे निकलेंगे जो थे ही नहीं, जो दबाव बनाकर कर्मचारियों से लिखवा लिए गए। आश्चर्यजनक यह भी है कि आखिर जिलास्तर से बिल कैसे पास हो जाते हैं। इस फर्जीवाड़े का जागरण पूर्व में पर्दाफाश भी कर चुका है। -------------------

    एंबुलेंस कर्मियों ने जो आरोप लगाए हैं उनके बारे में शासन को भी जानकारी दी जाएगी और शासन अगर निर्देश देता है तो कंपनी के ऊपर लगे फर्जीवाड़े के आरोपों की भी जांच होगी।

    - विवेक मिश्र, एडीएम प्रशासन, एटा