एक घर ऐसा, बिल्कुल संग्रहालय जैसा
बौद्ध तीर्थ स्थल अतरंजीखेड़ा में एक घर ऐसा है जहां बौद्धकालीन इतिहास भरा ...और पढ़ें

एटा, प्रवेश कुमार :
बौद्ध तीर्थ स्थल अतरंजीखेड़ा में एक घर ऐसा है जहां बौद्धकालीन इतिहास भरा पड़ा है। इस घरेलू म्यूजियम में यहां खुदाई में निकले बौद्धकालीन अवशेष रखे हैं। बौद्ध साहित्य के लेखक जोगराज सिंह (92) ने यह अवशेष जुटाए और घर के एक कमरे को संग्रहालय बना दिया। शोधार्थी इन्हीं बुजुर्ग लेखक से संपर्क करते हैं। पर्यटक भी इस निजी संग्रहालय को देखने जाते हैं। सरकार इस ऐतिहासिक स्थल पर आज तक कोई संग्रहालय नहीं बनवा सकी है।
वर्ष 1962 में बौद्धकालीन स्थल अतरंजीखेड़ा में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने यहां टीले का उत्खनन कराया। इसमें लोहा पिघलाने की भट्ठियां, तांबे के बर्तन और मुद्रा, भाला, गेरुआ रंग के बर्तन के साथ सिक्के और देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां मिलीं। पुरातत्व विभाग ने कुछ अवशेष तो मथुरा संग्रहालय में रखवा दिए, तमाम पड़े रह गए। इन अवशेषों को जोगराज सिंह ने जुटा लिया और अपने घर के बाहर वाले कमरे को मिनी संग्रहालय बना दिया। इस संग्रहालय को बेरंजा मठ नाम दिया गया है। - संग्रहालय में मौजूद है यह सब-
जोगराज के संग्रहालय में बौद्धकालीन अशोक धम्मचक्र भी है जो राजा बेन द्वारा बनवाए गए मठ में स्थापित था। जवाहर लाल नेहरू डिग्री कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. राकेश मधुकर ने बताया कि यह धम्मचक्र राजा बेन के जमाने का है। उसी समय के दो बड़े स्तूप भी हैं। जोगराज के संग्रहालय में रखे अवशेष में बौद्धकालीन इतिहास छिपा है, उस समय की मुद्रा बताती है कि अर्थव्यवस्था कैसी थी। राजा बेन ने बसाया बेरंजा
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राजा बेन अतरंजी खेड़ा के शासक थे वे बौद्ध धर्म को मानने वाले थे। उन्होंने ही अतरंजीखेड़ा में बेरंजा नामक नगर बसाया था। प्रचलित है कि यहां भगवान बुद्ध ने वर्षावास किया था। इतिहासकार स्व. महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अपनी पुस्तक 'मंगलम' में बेरंजा के अवशेषों के बारे में काफी लिखा है।
पुरातत्व विभाग की योजना
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पुरातत्व विभाग अतिरंजीखेड़ा को पर्यटन के लिए तैयार कर रहा है। प्रथम चरण में खेड़ा की चारदीवारी का निर्माण करवा रहा है। यहां झील और पार्क और गेस्टहाउस भी बनाए जाएंगे, लेकिन संग्रहालय इस प्रोजेक्ट शामिल नहीं है। जोगराज लिख चुके कई पत्र
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बौद्ध साहित्यकार जोगराज सिंह यहां संग्रहालय बनाने को सरकार को कई पत्र लिख चुके हैं। वह बताते हैं कि संग्रहालय के लिए कोई पहल नहीं की गई है।
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'अतरंजीखेड़ा में मिले बौद्ध अवशेष बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसलिए यहां संग्रहालय बनवाया जाना चाहिए। घरेलू संग्रहालय में रखे अवशेषों का संरक्षण तभी हो सकता है।'
- ज्ञान भंते बौद्ध भिक्षु, अतरंजीखेड़ा

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