मोटा और उसना चावल से नहीं बढ़ती शुगर
निज प्रतिनिधि, एटा: चावल का स्वाद जीभ को मजा और खुशबू नाक को आनंद देती है, पर अब यह सेहत पर भारी पड़ रही है। चावल के ज्यादा इस्तेमाल से देश डायबिटीज का हब बन रहा है, लेकिन अब डरने की बात नहीं। मोटा और उसना चावल अब शरीर में शुगर नहीं बढ़ाएगा। इस चावल में विटामिन ज्यादा और कार्बोहाइड्रेट कम होने के कारण यह देर से पचता है, जिससे ग्लूकोज स्तर नहीं बढ़ता है।
समूचे देश के निम्न मध्यवर्गीय परिवार और ग्रामीणों की थाली में चावल और दाल परोसी जाती है। कोई बासमती चावल खाते हैं तो कोई मसरी। आशंका है, वर्ष 2030 तक मधुमेह भारत की सबसे गंभीर समस्या बनेगी और 330 मिलियन लोग शिकार होंगे। मधुमेह के लिए चावल को जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के शोध के अनुसार उसना चावल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स यानी शुगर को बढ़ाने वाले तत्वों की मात्रा 55 से भी कम होती है, जबकि कच्चे चावल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स 68 से 74 के बीच रहता है।
चिकित्सक डॉ. अजय यादव कहते हैं, चिकित्सीय भाषा में उसना चावल को ब्राउन कहा जाता है, यह सेहत के लिए ज्यादा नुकसानदेह नहीं है। धान के छिलके पर विटामिन ज्यादा होते हैं। उसना चावल तैयार करने के दौरान विटामिन छिलके से हटकर चावल पर चिपक जाते हैं। इस कारण उसना चावल में विटामिन ज्यादा और कार्बोहाइड्रेट कम हो जाता है। भोजन बनने पर उसना चावल को दो बार पकाना पड़ता है। निकाले गये मांड में शुगर की काफी मात्रा निकल जाती है। विटामिन शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
वैद्य रघुनन्दन सिंह के अनुसार, कच्चे चावल में मौजूद ज्यादा कार्बोहाइड्रेट भोजन को तेजी से पचाता है, जिसके कारण शुगर स्तर तेजी से बढ़ता है। जबकि उसना चावल में कार्बोहाइड्रेट कम और विटामिन ज्यादा होने के कारण भोजन देरी से पचता है। इस कारण शुगर स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है। जब तक शुगर स्तर बढ़ता है तब तक लोग शारीरिक श्रम कर लेते हैं, जिससे शुगर बनने के साथ ही खत्म हो जाता है। इसलिए उसना ज्यादा नुकसानदायक नहीं माना जाता है।
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