कोयलिया न कर दे पैदावार प्रभावित
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जागरण संवाददाता, एटा-कासगंज: कोयलिया या ब्लैक टिप रोग ईट भट्ठों के आसपास के क्षेत्रों में भट्ठों से निकलने वाली विषैली गैस सल्फर डाई आक्साइड तथा इथाइलीन गैस के कारण होता है। इस रोग में आम की फसल को नुकसान पहुंचता है और फल का निचला भाग काला पड़ जाता है और बाद में भूरा हो जाता है। जिन फलों पर इस रोग का कम असर पड़ता है वह निचली ओर से चोंचदार हो जाते हैं।
रोग का प्रकोप होने पर बोरेक्स सुहागा 6 से 10 ग्राम और कपड़ा धोने का सोडा 6 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। पहला छिड़काव जब फल काच की गोली के बराबर हो और दूसरा छिड़काव 15 दिन बाद करें। आम की बेहतर फसल लेने के लिए यह जरूरी है कि बागों की नियमित देखभाल करते रहें। उत्पादकों को चाहिए कि रोगों व कीटों का प्रकोप दिखाई देने पर तत्काल रोकथाम के उपाय करें। उनसे अथवा विभागीय निरीक्षकों से संपर्क कर समस्या का समाधान करके अपनी आय बढ़ाएं।
जिला उद्यान अधिकारी डीसी कुरील का कहना है कि आम की फसल के प्रति जागरूक होकर दवाओं का छिड़काव करते रहें। दवा का छिड़काव ही कोयलिया रोग से बचाव कर सकता है। उन्होंने बताया कि बागवान आम की बागवानी के प्रति संवेदनशील रहें। इस बार पैदावार बढ़ने की सम्भावना है।
खर्रा से भी पहुंचता है नुकसान
कासगंज: खर्रा रोग के प्रकोप से ग्रसित फल एवं डंठलों पर सफेद चूर्ण के समाना फफूंद दिखाई देती है। इससे प्रभावित फल पीले पड़कर गिरने लगते हैं। रोग से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा 1 मिली या डायनोकेप 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
इस बार बढ़ सकती है पैदावार
कासगंज: आम के बागों में इस बार अच्छा बौर आया है। विशेषज्ञ भी बताते हैं कि इस बार मौसम साथ दे रहा है इसलिए अच्छी पैदावार हो सकती है। क्योंकि बौर में अभी तक रोग नहीं लगा है। और बौर झड़ा भी नहीं है।

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