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    नाट्य शास्त्र के प्रणेता को किया याद

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    Updated: Tue, 18 Feb 2014 08:18 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, एटा: संस्कार भारती संस्था द्वारा डाक बंगलिया में नाट्य शास्त्र के प्रणेता भरत मुनि की जयंती मनाई। वक्ताओं ने उनके साहित्य पर चर्चा के साथ ही गोष्ठी में उनकी रचनाओं को श्रेष्ठ बताया।

    कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना के साथ हुआ। तदुपरांत डॉ. रजनी शर्मा प्राचार्य भगवान शिव महाविद्यालय ने आलेख के द्वारा नाट्य शास्त्र के प्रणेता भरत मुनि पर प्रकाश डालते हए कहा, नाट्य कला सांसारिक लोगों को ही आनंद की अनुभूति नहीं कराती बल्कि चिंतकों और साधकों को भी मानसिक शांति और सुख प्रदान करती है। नाट्य शास्त्र का मनन और अनुशीलन आज भी है। डी. पी. एस. चौहान ने भरत मुनि की सादगी और साहित्य साधना के साथ गजल प्रस्तुत की। अनूप भावुक ने भरत मुनि व संत रविदास के त्याग और सेवा भावना का परिचय कराया।

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    आचार्य प्रेमीराम मिश्र ने बताया कि भरत मुनि नाट्य शास्त्र के साथ-साथ आलोचना शास्त्र के भी विद्वज थे। 36 अध्याय और 5000 श्लोकों वाले नाट्य शास्त्र में विभिन्न कलाओं का मार्मिक विवेचन मिलता है। इसके अलावा गोष्ठी को योगेश सक्सेना एडवोकेट, मयंक तिवारी जिला संयोजक, रवेंद्र सैनी, डॉ. आशुतोष मिश्र, नरेंद्र कुमार शर्मा आदि ने भी संबोधित कर भरत मुनि की याद के साथ नाट्य कला साहित्य की प्रशंसा की। गोष्ठी में अन्य साहित्य प्रेमी भी मौजूद रहे।