मां के साथ जेल में रहने वाले बच्चों का भविष्य संवारने में नहीं होगी लापरवाही, लागू हुई 'सुरक्षित बचपन योजना'
यूपी में 'सुरक्षित बचपन योजना' शुरू की गई है, जिसका लक्ष्य जेल में मां के साथ रहने वाले बच्चों का भविष्य सुरक्षित करना है। योजना में शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान दिया जाएगा। सरकार बच्चों के विकास के लिए विशेष देखभाल और सुरक्षा प्रदान करेगी और योजना के क्रियान्वयन में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मां के साथ जेल में रहने वाले बच्चों के भविष्य संवारने में नहीं होगी लापरवाही।
जागरण संवाददाता, देवरिया। जिला जेल में निरुद्ध महिलाओं के साथ रहने वाले बच्चों के भविष्य को संवारने में अब लापरवाही नहीं हो पाएगी। उनका भविष्य संवारने के लिए उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश पर सुरक्षित बचपन योजना लागू की गई है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए डीएम ने संयुक्त निगरानी समिति गठित की है।
शासन की ओर से जेल में निरुद्ध महिला बंदियों के छह वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को समुचित पढ़ाई, उनके कल्याण, सर्वांगीण विकास व संरक्षण के लिए निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए संबंधित विभागों की ओर से दिए गए सुझाव को शामिल करते हुए उनकी सहमति के आधार पर समेकित योजना सुरक्षित बचपन योजना तैयार की गई है।
इस योजना का क्रियान्यवन कराए जाने व उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में डीएम दिव्या मित्तल ने संयुक्त निगरानी समिति का गठन किया है।
इस समिति में एडीएम प्रशासन, वरिष्ठ अधीक्षक जिला कारागार, सीएमओ की ओर से नामित वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ, बीएसए, जिला कार्यक्रम अधिकारी, अध्यक्ष या सदस्य बाल कल्याण समिति, जिला प्रोबेशन अधिकारी शामिल हैं।
समिति जिला जेल का संयुक्त रूप से नियमित भ्रमण करेगी। साथ ही बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए कार्य करेगी। जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल कुमार ने बताया कि समिति गठित कर दी गई है।

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