सतासी राज महल पर नाज करता है रुद्रपुर
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश सरकार का
श्यामानंद पांडेय, रुद्रपुर, देवरिया: 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश सरकार का दमन चक्र चरम पर था। ऐसे समय रुद्रपुर के सतासी राज ने अंग्रेजों का छक्का छुड़ाने का काम किया था। डेढ़ सौ वर्ष बाद भी लोग इस पर नाज करते हैं।
बाबा दुग्धेश्वरनाथ की नगरी में सतासी राज का किला अपने मूल रूप में अभी भी विद्यमान है। 1857 में जब अंग्रेज गोरखपुर से खजाना लूट कर गजपुर के रास्ते राप्ती नदी पहुंचे। राजा उदित नारायण ¨सह को इसकी भनक लग गई। वह सेना के साथ गोरी सेना पर टूट पड़े। सैनिकों के खून से नदी का रंग लाल हो गया। पराजय से झल्लाए अंग्रेजों ने बिहार और नेपाल से सैन्य बल मंगा कर सतासी राज पर आक्रमण कर दिया। दोनों सेनाओं में भयंकर युद्ध हुआ। गोरी सेना जब सतासी राज के सैनिकों से घबरा गई तो एक समझौते के तहत सतासी राज के गिरफ्तार सैनिकों को भी उन्हें छोड़ना पड़ा।
कुछ दिन बाद जफर मुहम्मद हसन ने गोरखपुर को आजाद कराने के लिए सतासी राज के साथ गोरखपुर कूच कर दिया। घटना के बाद फिरंगियों में हड़कंप मच गया। अचानक हमले से परेशान गोरे सैनिक भाग खड़े हुए। यह जानकारी जब अंग्रेज बिग्रेडियर फ्रेडार को लगी तब उसने गोरखा सैनिकों की मदद से गोरखपुर पर फिर कब्जा कर लिया। हमले से नाराज अंग्रेजों ने सतासी राज के राजा उदित नारायण ¨सह को काला पानी की सजा दी।
राज कुंवरि कादंबरी ¨सह ने कहा कि मेरे पूर्वजों ने देश की आजादी के लिए जो संघर्ष किया वह इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। लोगों को इस महल पर हमेशा नाज रहेगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।