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    पथराई आंखें करती रहीं इंतजार, दम फूलती सांसों को दवा की दरकार

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 13 Jun 2019 11:26 PM (IST)

    कंपकपाते हुए हाथ लुंज-पुंज फर्श पर पड़ी वह पथराई आंखों से किसी के आने का इंतजार कर रही थीं। भलुआ गांव की नेशा खातून ने पूछने पर बताया कि बाबू डाक्टर साहब के आने की राह देख रही हूं। एक व्यक्ति आता है और कहता है डाक्टर साहब नहीं आएंगे अंदर से दवा ले लीजिए वह काफी मुश्किल से खड़ा होकर दीवार के सहारे फार्मासिस्ट कक्ष तक पहुंचती है और कंपकपाते होठों से अपनी पीड़ा बयां कर फार्मासिस्ट से दवा के लिए गिड़गिड़ाती है।

    पथराई आंखें करती रहीं इंतजार, दम फूलती सांसों को दवा की दरकार

    देवरिया : कंपकपाते हुए हाथ, लुंज-पुंज फर्श पर पड़ी वह पथराई आंखों से किसी के आने का इंतजार कर रही थीं। भलुआ गांव की नेशा खातून ने पूछने पर बताया कि बाबू डाक्टर साहब के आने की राह देख रही हूं। एक व्यक्ति आता है और कहता है डाक्टर साहब नहीं आएंगे अंदर से दवा ले लीजिए वह काफी मुश्किल से खड़ा होकर दीवार के सहारे फार्मासिस्ट कक्ष तक पहुंचती है और कंपकपाते होठों से अपनी पीड़ा बयां कर फार्मासिस्ट से दवा के लिए गिड़गिड़ाती है। फार्मासिस्ट कुछ दवाएं देकर उन्हें अगले दिन डाक्टर से दिखा लेने की सलाह देते हुए घर जाने को कहते हैं। नेशा वह गरीब है जिनके हाथ आर्थिक तंगी ने बांध रखे हैं, वह निजी अस्पताल इसलिए नहीं जा सकतीं, क्योंकि उसके पास रुपये नहीं हैं। उनके लिए यह सरकारी अस्पताल ही दवा व इलाज का एक मात्र सहारा है। यह मंजर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बतरौली, मझगांवा का है। दूर से आई इस बुजुर्ग महिला को डाक्टर तो नहीं मिले, लेकिन जिसने भी यह नजारा देखा वह पूरी व्यवस्था को कोसता रहा।

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    रेहाना खातून निवासी भलुआ को जुकाम,सर्दी, खांसी हुई थी, लेकिन इलाज नहीं मिला, रफीकुन निशा निवासी भलुआ का पूरा शरीर सूज जा रहा है। दवा खरीद कर खाई, आराम नहीं मिला। दवा के लिए आई थी, लेकिन डाक्टर नहीं मिले। ऐसे की दर्जनों मरीज इलाज के लिए आए और बिना इलाज लौट गए। पूरा अस्पताल परिसर झाड़-झंखाड़ में तब्दील है। अस्पताल में न तो मोटर लगा है और न ही टोटी, जुगाड़ के भरोसे बिजली तार से खींची गई है। पंखे नहीं चलते। शौचालय गंदा और प्रयोगहीन है। डेंटल हाइजीनिस्ट मरीज की प्रतीक्षा में थे। बताया कि बिजली नहीं आने से परेशानी होती है। मशीन में भी खराबी है। एलटी अवधेश कुमार व फार्मासिस्ट ज्ञान स्वरूप चंद वर्मा अपने कक्ष में बैठे मिले। कई मरीज अस्पताल पहुंचे और डाक्टर को पूछ कर वापस चले जाते। पूछने पर कि डाक्टर साहब कहां है कर्मचारियों ने बताया कि डा.विपिन रंजन की तैनाती है वह ट्रेनिग में गए हैं। दबी जुबान कर्मचारियों ने बताया कि यहां एक चिकित्सक की तैनाती है लेकिन उनके बारे में हम लोग कुछ नहीं बता सकते। उधर आराधना वार्ड आया को छोड़ कर कोई भी कर्मचारी उपस्थित नहीं था। ग्रामीण जहां चिकित्सकों पर मनमाना ड्यूटी करने का आरोप लगा रहे हैं वहीं कर्मचारी ग्रामीणों द्वारा कोई सहयोग नहीं करने की बात कह रहे हैं। अधीक्षक डा.एमपी जायसवाल पीएचसी मझगांवा बैठते हैं और यहां कभी-कभी आते हैं। ऐसे में यहां सभी कर्मचारी अपने ढंग से नौकरी करते हैं। यहां सिर्फ दिन में ओपीडी चलती है। रात में मरीजों के लिए कोई सुविधा नहीं है। यहां इमरजेंसी सेवा रात में आज तक शुरू नहीं हो सका। कर्मचारियों के रहने के लिए बनाए आवास में झाड़-झंखाड़ है तो सांप बिच्छुओं का बसेरा है।

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    शासन की मंशा है कि मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज मिले। सभी अस्पताल समय से खुले और बंद हों। इमरजेंसी सेवा बहाल रहनी ही चाहिए। एक डाक्टर ट्रेनिग में हैं तो दूसरे डाक्टर डा.श्याम कुमार की वहां तैनाती है। वह क्यों नहीं थे इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

    -डा.संजय चंद, प्रभारी सीएमओ, देवरिया

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