Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Parshuram Jayanti 2023: जनकपुर से लौटते समय भगवान परशुराम ने देवरिया के सोहनाग में किया था रात्रि विश्राम

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Sat, 22 Apr 2023 03:44 PM (IST)

    मान्यता है कि परशुराम धाम सोहनाग के सरोवर में स्नान से चर्म रोग से आराम मिलता है। परशुराम जयंती के दिन यहां भव्य मेले का आयोजन होता है। मान्यता है कि जब जनकपुर में धनुष यज्ञ के बाद परशुरामजी वापस आ रहे थे तो यहां यहीं रात्रि विश्राम किए।

    Hero Image
    परशुराम धाम सोहनाग स्थित पोखरा। - जागरण

    देवरिया, श्याम नारायण मिश्र। अपने ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध देवरिया जनपद में पूरे उत्तर भारत का सबसे प्राचीन भगवान परशुरामजी का मंदिर सोहनाग धाम में स्थित है, जिसका अलग ही पौराणिक महत्व वेद व शास्त्रों में वर्णित है। यहां उनके जयंती अक्षय तृतीया के दिन भव्य मेले व विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस पवित्र धाम के बारे में बताते हैं कि जब जनकपुर में धनुष यज्ञ के बाद परशुरामजी वापस आ रहे थे तो यहां आते ही रात हो गई। उस समय यहां घनघोर जंगल था। यहीं पर वह रात्रि विश्राम किए। सुबह जब उठे तो बगल में ही एक पवित्र सरोवर था। जिसमें उन्होंने स्नान कर यहीं तपस्या करने लगे। उनके स्नान से यह सरोवर पवित्र हो गया। स्थान मनोरम होने के कारण वह कई दिन यहीं विश्राम किए। इसके बाद से ही यह स्थान प्रसिद्ध हो गया।

    यह है मान्यता

    कई सौ वर्ष पूर्व नेपाल के राजा सोहन कुष्ट रोग से पीड़ित हो गए तो इसके निदान के लिए धर्माचार्यों के आदेश पर तीर्थाटन के लिए निकल पड़े। काफी भ्रमण के बाद जब वह इस जगह पर पहुंचे तो जगह मनभावन होने की वजह से यहीं पर उन्होंने रात्रि विश्राम किया। सुबह उठकर जब सरोवर में स्नान किया तो उनका कुष्ट रोग कम होने लगा तो यहीं रुक गए और रोज स्नान के कारण कुष्ट पूर्ण रूप से ठीक हो गया। जिससे प्रभावित हो कर उन्होंने सरोवर की खुदाई कराया। जिसमें से भगवान परशुरामजी उनकी माता रेणुका, पिता ऋषि जमदग्नि व भगवान विष्णु की बेशकीमती मूर्ति निकली। इसी स्थान पर उन्होंने मंदिर बनवाकर इन मूर्तियों को इसमें प्रतिष्ठित कराया। तभी से इस स्थान का पौराणिक मान्यता व महत्व और बढ़ गया। राजा सोहन के नाम पर इस जगह का नाम सोहनाग पड़ गया।

    सत्य के धारक हैं परशुराम

    उप नगर के ईचौना पश्चिमी वार्ड में भगवान परशुराम की जयंती के पूर्व संध्या पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। आचार्य अजय शुक्ल ने कहा कि भगवान परशुराम ने हमेशा अपने बड़ों का सम्मान किया। डा. धर्मेन्द्र पांडेय ने कहा कि पराक्रम व सत्य के धारक परशुरामजी ने सत्य सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा की। उनका मानना था कि राजा का धर्म वैदिक जीवन का प्रसार करना है न कि अपने प्रजा से अपने आज्ञा का पालन करवाना। कार्यक्रम में डा. निशा तिवारी, संजय तिवारी, गणेश मिश्र, प्रवीण पांडेय, सत्यम पांडेय, रमेश मद्धेशिया, डेविड सैनी, राकेश यादव, एसएन मिश्र आदि मौजूद रहे।