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    नीलकंठ महादेव मंदिर

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 18 Aug 2018 11:19 PM (IST)

    जनपद मुख्यालय से 28 किमी दूर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर बरहज नगर से पूरब तरफ रामजानकी मार्ग से दो सौ मीटर की दूरी पर दक्षिण तरफ स्थित है। ...और पढ़ें

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    नीलकंठ महादेव मंदिर

    जनपद मुख्यालय से 28 किमी दूर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर बरहज नगर से पूरब तरफ रामजानकी मार्ग से दो सौ मीटर की दूरी पर दक्षिण तरफ स्थित है। यहां आने जाने के लिए हर समय साधन मिलता है। बरहज पहुंचने के बाद ई-रिक्शा व रिक्शे से वहां पहुंचा जा सकता है।

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    मंदिर का इतिहास

    आज से करीब साढ़े तीन सौ साल पूर्व किसान खेत की जोताई कर रहे थे। इसी दौरान हल का फाल एक पत्थर से टकराया। बार-बार ऐसा होने पर किसानों ने उस स्थल की खोदाई की तो वहां शिव¨लग के आकार का पत्थर दिखा। शिव¨लग बढ़ने लगा। खोदाई के दौरान ही वहां एक संत प्रकट हुए और खोदाई बंद करने को कहा। किसानों ने खेत होने का हवाला देते हुए पत्थर निकालने का दबाव बनाया तो उन्होंने शिव¨लग न निकालने के बदले वर मांगने को कहा वर मांगने पर किसानों को खुशहाली देकर वहां गायब हो गए। लोग संत को शिव बताते हुए शिव¨लग की पूजा करने लगे। बाद में दो भव्य मंदिरों का निर्माण कराया गया। यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के अगाध आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि यहां मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है।

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    महादेव नीलकंठ पर भक्तों का अटूट विश्वास है। बाबा के दर्शन मात्र से ही संकट दूर हो जाते हैं। वैसे तो यहां हर समय भीड़ लगी रहती है, लेकिन सावन में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष इंतजाम है।

    -मुन्नादास, पुजारी

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    बाबा भोलेनाथ की कृपा यहां पर हर समय बरसती है। बाबा नीलकंठ महादेव के दरबार में मेरे मन की मुराद पूरी हुई है। इनकी कृपा से आज भी मेरा परिवार खुशहाल है। जब भी कोई मुश्किल आती हम भोलेनाथ को याद करते और मुश्किल का समाधान हो जाता है।

    -मेवालाल श्रद्धालु

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