राज्य मंत्री-मंदिर प्रबंधन विवाद: भूमि विवाद को लेकर गोलबंदी शुरू, दोनों पक्षों से उठी जांच की मांग
देवरिया में राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम और मनोकामना पूर्ण मंदिर के उत्तराधिकारी राजेश नारायण दास के बीच भूमि विवाद गहरा गया है। मंदिर के उत्तराधिकारी ने भूमि कब्जाने का आरोप लगाया है जिसके बाद समर्थकों ने सोशल मीडिया पर बहस शुरू कर दी है। विपक्ष जांच की मांग कर रहा है। फिलहाल सभी की निगाहें प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं।
जागरण संवाददाता, देवरिया। राज्य मंत्री विजय लक्ष्मी गौतम व मनोकामना पूर्ण मंदिर के उत्तराधिकारी राजेश नारायण दास के बीच भूमि विवाद का प्रकरण सुर्खियों में आने के बाद अब गोलबंदी शुरू हो गई है। आरोप-प्रत्यारोप के बीच दोनों पक्षों के बीच इंटरनेट मीडिया पर बहस छिड़ गई है।
एक तरफ कुछ लोग राज्यमंत्री पर भूमि कब्जाने के मामले की जांच कराने की मांग कह रहा है तो दूसरी तरफ भाजपा के लोग मंदिर की भूमि पर फर्जीवाड़ा कर कब्जा करने की आवाज उठा रहा है। फिलहाल प्रशासन की तरफ सभी की निगाहें हैं।
मनोकामना पूर्ण मंदिर के उत्तराधिकारी राजेश नारायण दास ने गुरुवार को मंदिर से जुड़े दस्तावेज सार्वजनिक किए थे, जिसमें मंदिर की भूमि शंकरजी हनुमानजी बतौर सर्वकार महंत परमात्मादास जी चेला सरयूदास (आध्यात्मिक पुत्र) के रूप में दर्ज है। इसके सार्वजनिक होने के बाद भाजपा समेत अन्य दलों के लोगों ने मंदिर की भूमि के स्वामित्व को लेकर सवाल खड़ा किया है।
भाजपा के निशि निरंजन तिवारी ने इंटरनेट मीडिया के जरिये मंदिर की भूमि अपने नाम कराने के मामले की जांच की मांग की है। इसी तरह से अधिवक्ता शांति स्वरूप दुबे ने संपत्ति को हनुमानजी के नाम दर्ज करने की मांग की है। साथ ही धोखा से संपत्ति नाम कराने का आरोप लगाया है।
सपा नेता हृदयनारायण जायसवाल ने हनुमान मंदिर की भूमि सुरक्षित कराने व मालिकाना हक का समाधान की मांग की है। दरअसल, राज्यमंत्री विजय लक्ष्मी गौतम की चहारदीवारी के पूरब भीटा की भूमि की तरफ गेट खोलने के विरोध के बाद मामला तूल पकड़ लिया है।
मनोकामना पूर्ण हनुमान मंदिर के उत्तराधिकारी राजेश नारायण दास ने मंदिर की भूमि कब्जाने का आरोप लगाकर मंगलवार को सीसी रोड पर धरने पर बैठे थे। इस प्रकरण में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट श्रुति शर्मा ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 164 के तहत राज्यमंत्री की भूमि को जब्त कर लिया है। फिलहाल प्रशासन की कार्रवाई का इंतजार है।
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