चार्जशीट दाखिल करने के लिए पुलिस को करनी पड़ रही कसरत
अपराध संख्या में सुधार लेकिन पर्चा में इसका जिक्र नहीं

जागरण संवाददाता, देवरिया : माफिया व पूर्व विधान परिषद सदस्य संजीव द्विवेदी उर्फ रामू को जेल भेजने के बाद पुलिस को अपराध संख्या में हुई लिपिकीय त्रुटि के चलते कसरत करनी पड़ रही है। पुलिस के अधिकारी के साथ ही विवेचक भी चार्जशीट दाखिल करने के लिए एपीओ व विधि के अन्य जानकारों से सलाह ले रहे हैं। उधर रामू को तीसरे दिन भी जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में इलाज चलता रहा।
2012 में व्यवसायी निकुंज अग्रवाल ने पूर्व विधान परिषद सदस्य रामू द्विवेदी के खिलाफ रंगदारी मांगने व धमकी देने का मुकदमा कोतवाली में दर्ज कराया था। मुकदमे की कापी में अपराध 2230 की जगह 2228 दर्ज हो गई। हालांकि विवेचक ने प्रथम ही पर्चे में अपराध संख्या 2230 दर्ज कर विवेचना आगे बढ़ा दिया। पुलिस 2230 में ही जेल भी भेजी है। लेकिन मुकदमे की कापी में 2228 ही दर्ज है। एक दिन पूर्व चार्जशीट दाखिल करने का कोतवाली पुलिस ने प्रयास किया, लेकिन न्यायाधीश के सवालों का जवाब विवेचक नहीं दे सके। विधि के जानकारों का कहना है कि अपराध संख्या में विवेचक ने संशोधन तो कर दिया, लेकिन पर्चे में इसका जिक्र नहीं किया है। संशोधन करने के दौरान विवेचक को इसका जिक्र पर्चे में कर देना चाहिए था। अब तत्कालीन विवेचक या फिर मुंशी का भी बयान दर्ज कराया जा सकता है। इसके अलावा रामू को पुलिस को या तो वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये न्यायालय में पेश करना होगा या न्यायालय में। इस समय रामू को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कोतवाली पुलिस रामू के करीबियों पर नजर रख रही है और उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश भी दे रही है।
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