देवरिया वक्फ मजार का फर्जीवाड़ा उजागर, कब्रिस्तान का इंद्राज रद्द
देवरिया में, एएसडीएम कोर्ट ने राजस्व अभिलेखों में दर्ज वक्फ मजार और कब्रिस्तान के कूटरचित इंद्राज को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने 1399 फसली खतौनी में बंजर भूमि को बहाल करने का आदेश दिया है, और कूटरचित प्रविष्टि करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। यह कार्रवाई सदर विधायक की शिकायत के बाद हुई, जिन्होंने सीएम से इस मामले की जांच की मांग की थी।

जागरण संवाददाता, देवरिया। राजस्व अभिलेखों में दर्ज वक्फ मजार व कब्रिस्तान के कूटरचित इंद्राज को एएसडीएम कोर्ट ने बुधवार को निरस्त कर दिया। साथ ही 1399 फसली खतौनी में अंकित बंजर को कायम व बहाल करने का आदेश पारित किया है। कूटरचित प्रविष्टि अंकित करने वाले दोषी कर्मचारियों व कराने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध विविध कार्रवाई का आदेश दिया है। कोर्ट के इस आदेश से खलबली मच गई है।
गोरखपुर रोड स्थित रेलवे ओवरब्रिज से सटे मेहड़ा नगर अंदर तप्पा धतुरा में मजार व कब्रिस्तान बना है, जो नान जेड ए की भूमि बताई जा रही है। तहसील प्रशासन ने अवगत कराया था कि वह भूमि 1399 फसली खतौनी में बंजर अंकित था। इसका रकबा 0.124 हेक्टेयर है। वर्ष 1993 में एडीएम वित्त एवं राजस्व के न्यायालय से जारी जिस परवाना के आधार पर मजार व कब्रिस्तान दर्ज किया गया, उस प्रविष्टि को संदिग्ध व फर्जी बताते हुए अपर जिला शासकीय अधिवक्ता जयदीप गुप्ता ने उप्र राजस्व संहिता 2006 के तहत अभिलेख दुरुस्ती का वाद दाखिल किया। जिसकी सुनवाई पूरी करते हुए एएसडीएम अवधेश निगम की कोर्ट ने आदेश पारित किया है।
उन्होंने आदेश में कहा है कि विवेचना के आधार पर प्रस्तुत वाद स्वीकार किया जाता है। खतौनी 1399 फसली के खाता संख्या तीन में अंकित आराजी संख्या 1647/2 मि. रकबा 0.124 हेक्टेयर बंजर के रूप में कायम व बहाल किया जाता है। उसके आगे वाद संख्या 25 वक्फ 23 पत्रांक 19 जून 1992 एडीएम वित्त एवं राजस्व अपर वक्फ आयुक्त देवरिया का आदेश जो कूटरचित इंद्राज है। उसे परवाना से अंकित किया गया है, जो निरस्त करने योग्य है। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने राजस्व अभिलेखों में दर्ज मजार व कब्रिस्तान का कूटरचित इंद्राज निरस्त कर दिया है।
सीएम से शिकायत के बाद शुरू हुई थी जांच
अवैध रूप से बने मजार व कब्रिस्तान के मामले की शिकायत सदर विधायक डा.शलभ मणि त्रिपाठी ने सीएम योगी आदित्यनाथ से शिकायत की थी। साथ ही ध्वस्तीकरण की मांग की। वर्षों पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रामनगीना यादव ने मजार के वजूद को लेकर सवाल खड़े किए थे। जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई थी।

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