जनसुनवाई में शिकायत करना पड़ा महंगा
देवरिया: मुख्यमंत्री की जनसुनवाई में शिकायत करना अब लोगों के लिए महंगा पड़ने लगा है। न्याय के लिए शिक
देवरिया: मुख्यमंत्री की जनसुनवाई में शिकायत करना अब लोगों के लिए महंगा पड़ने लगा है। न्याय के लिए शिकायत करने पर उल्टे उन्हें दंड दिया जाना आम बात हो गई है। इससे त्रस्त लोग अब शिकायत करने में भी संकोच करने लगे हैं। शिकायतों का जल्द निस्तारण करने की तेजी में बिना जांच के ही रिपोर्ट लगा दी जा रही है।
जिला उद्योग व्यापार मंडल के तहसील अध्यक्ष राम कृपाल ¨सह ने मण्डलायुक्त को लिखे पत्र में कहा है कि भटवलिया वार्ड नंबर चार में उनके जमीन पर बगल के ही कुछ लोग अवैध कब्जा किए हैं। काफी दिनों से कब्जा खाली कराने के लिए जिला प्रशासन का दरवाजा खटखटा रहा हूं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री की जन सुनवाई पोर्टल पर कब्जा हटाने के लिए शिकायत किया तो उल्टे ही मेरा आवेदन तहसील प्रशासन की जगह पुलिस प्रशासन को भेज स्थानांतरित कर दिया गया। कोतवाली पुलिस ने मेरे आवेदन के बारे में मुझसे पूछा तक नहीं और उल्टे ही 107 व 116 की कार्रवाई कर मामला को निस्तारित दिखा दिया। इसके चलते उन्हें इस जनसुनवाई से कोई न्याय नहीं मिला। इसी तरह भागलपुर ब्लाक की कंचन ने जनसुनवाई के माध्यम से राशनकार्ड की शिकायत जनसुनवाई के माध्यम से की। उनका कहना है कि जनसुनवाई के आवेदन को प्रशासन ने जांच तक नहीं किया और लिख दिया कि कंचन गांव में रहती ही नहीं है। जब उसने पुन: प्रत्यावेदन किया तो ग्राम प्रधान से मिलकर उनके रिश्तेदार तथा जानने पहचानने वाले सभी लोगों का खाद्य सुरक्षा का कार्ड काटकर उसके जगह दूसरे का नाम जिला पूर्ति कार्यालय से चढ़ा दिया गया। इसी तरह कई शिकायतें को यह कह कर निस्तारित कर दिया जाता है कि यह मेरे विभाग का नहीं है। जनसुनवाई के निस्तारण की इस प्रक्रिया से लोग भयभीत हो गए हैं और शिकायत करना ही मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। इस संबंध में जब जिला पूर्ति अधिकारी कृष्ण गोपाल पांडेय ने कहा कि पूर्ति विभाग से सम्बंधित जो शिकायतें आती है उसे ब्लाक स्तर पर भेज दिया जाता है वहां से जो निस्तारण आता है उसे ही पोर्टल पर डाला जाता है। भाजपा नेता अजय उपाध्याय ने बगैर जांच कर शिकायतों का निस्तारण करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।
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