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    सदर तहसील में 1846 मुकदमें लंबित

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    Updated: Fri, 12 Dec 2014 11:07 PM (IST)

    देवरिया : गोरखपुर के बड़हलगंज की घटना से अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। अधिकारी नहीं चाह रहे हैं कि लोग

    देवरिया : गोरखपुर के बड़हलगंज की घटना से अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। अधिकारी नहीं चाह रहे हैं कि लोग न्याय में विलंब होने से दुखी होकर आत्महत्या कर लें। आलम यह है कि अभी सदर तहसील में भूमि से संबंधित लंबित 1846 मुकदमें हैं।

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    सदर तहसीलदार न्यायालय में माह नवंबर तक 831 मुकदमें लंबित हैं, जिसमें 428 मुकदमों का निस्तारण कर दिया गया। शेष 403 मुकदमें लंबित हैं। इसी प्रकार तहसीलदार न्यायिक न्यायालय में माह नवंबर तक 709 मुकदमें दाखिल किए गए, जिसमें 159 मुकदमें निस्तारित किए गए। इन मुकदमों पर कोई विवाद नहीं था। नायब तहसीलदार बखरा न्यायालय में माह नवंबर तक 499 वाद दाखिल किए गए, जिसमें 166 वाद निस्तारित हुए। शेष 333 वाद लंबित हैं। इसी प्रकार नायब तहसीलदार सदर के यहां माह नवंबर तक 647 वाद दाखिल हुए, जिसमें 174 का निस्तारण हो सका। 473 वादकारी अभी भी न्याय के लिए तहसील का चक्कर काट रहे हैं, जबकि भू-राजस्व अधिनियम की धारा 33ए के तहत नवंबर तक कुल अविवादित 16086 वरासत खतौनी में दर्ज किए गए। तहसील में ग्रामसभा की भूमि पर अवैध कब्जा के लिए 122बी का मुकदमा तो धारा 34 खारिज दाखिल का वाद अधिक लंबित हैं। वसीयत और वरासत को लेकर मुकदमे चल रहे हैं। उदाहरण के तौर पर वादों का विवरण इस प्रकार है।

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    वाद जो पांच साल से लंबित

    - शैलेंद्र बनाम काली प्रसाद, निवासी मुड़ेरा वर्ष 2009 से लंबित।

    - मेंहदी हसन बनाम सत्ता, निवासी पौहारी छापर वर्ष 2010 से लंबित।

    - लालता बनाम फरजन, निवासी कतरारी वर्ष 2009 से लंबित।

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    ''भूमि से संबंधित वाद के निस्तारण विलंब नहीं किया जाता है। वरासत के मामलों के निस्तारण के लिए लेखपाल और कानूनगो को निर्देश दे दिए गए हैं कि ऐसे मामलों में किसी प्रकार की शिथिलता न बरतें।''

    अभय कुमार सिंह

    तहसीलदार

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