सरकारी पैसे से खरीदे आलीशान घर और महंगी गाड़ियां, UP में ऐसे हो गया करोड़ों का घोटाला
कोषागार में 43.13 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में खुलासा हुआ कि 93 खाताधारकों, कोषागार कर्मचारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से सरकारी धन की लूट हुई। इस अवैध कमाई से आलीशान मकान, महंगी गाड़ियां और जमीनें खरीदी गईं। मामले की जांच दो स्तर पर जारी है।

जागरण संवाददाता, चित्रकूट। कोषागार में हुए 43.13 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला लगातार गहराता जा रहा है। जांच में खुलासा हुआ है कि 93 खाताधारकों, कोषागार कर्मचारियों और बिचौलियों की मिलीभगत से सरकारी धन की लूट की गई। इस अवैध कमाई से कई लोगों ने बड़ी रकम की संपत्तियां बनाई हैं, जिसमें आलीशान मकान, महंगी गाड़ियां और ज़मीनें शामिल हैं। इस मामले की जांच दो स्तर पर चल रही है।
शासन के आदेश पर एडीएम न्यायिक अरुण कुमार और मंडलीय अपर निदेशक कोषागार एवं पेंशन विष्णुकांत द्विवेदी की टीम कर रही है वहीं, एसपी के नेतृत्व में गठित एसआइटी सीओ सिटी अरविंद कुमार वर्मा के नेतृत्व में गहन छानबीन कर रही है। जांच के दौरान करीब 10 मृतक पेंशनरों के नाम सामने आए हैं, जिनकी मृत्यु कई साल पहले हो चुकी थी, लेकिन उनके स्वजन ने सरकारी कर्मियों की मदद से हर साल जिंदा रहने का सत्यापन कराकर लाखों रुपये का भुगतान कराया।
पैसे ऐसे हुए ट्रांसफर
सूत्र बताते हैं कि कई खाताधारकों को एक करोड़ से अधिक की धनराशि कोषागार से भेजी गई, जो मृतक पेंशनरों के परिजनों के आनलाइन खातों में ट्रांजेक्शन के माध्यम से पहुंची। इसके बाद ये राशि कोषागार कर्मियों के बीच बांटी गई। कई मृतक पेंशनरों के बेटों ने बैंक और कोषागार की मिलीभगत से ज्वाइंट अकाउंट भी खुलवाए, ताकि वे बिना पेंशनर के बैंक से पैसा निकाल सकें।
एजी कार्यालय प्रयागराज की विशेष आडिट टीम ने अनियमित भुगतान पकड़ते हुए 93 खातों को सीज कर दिया था। जांच में यह भी सामने आया है कि कई खातों से पेंशनरों के स्वजन ने बिना जानकारी के रकम निकाली है। इस घोटाले के खुलासे के बाद कुछ आरोपित परिवार सहित फरार भी हो गए हैं, जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस सक्रिय है। जांच जारी है और जल्द ही घोटाले में शामिल सभी आरोपितों को न्याय के कटघरे में लाने की तैयारी चल रही है।
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