चित्रकूट के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर बना रहीं योजना, MP के इस जिले से क्यों मांगे सुझाव?
उत्तर प्रदेश के एक जिले के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारें संयुक्त रूप से योजना बना रही हैं। इस क्षेत्र को तपोभूमि के रूप में विकसित करने के लिए एक नया अधिनियम तैयार किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के सतना जिला प्रशासन ने विकास योजनाओं के लिए 8 दिसंबर तक सुझाव आमंत्रित किए हैं।
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जागरण संवाददाता, चित्रकूट। जो धार्मिक और पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है, में प्रतिदिन लगभग 30 हजार श्रद्धालु आते हैं। अमावस्या मेला और दीपावली मेले के दौरान यह संख्या और बढ़कर लाखों तक पहुंच जाती है।
ऐसे में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए राज्य और केंद्र सरकार ने चित्रकूट के विकास के लिए एकीकृत शहरी विकास योजना बनाई है। इसके अंतर्गत विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों को लागू किया जा रहा है, ताकि आने वाले समय में यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं और आवागमन की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकें।
बड़ी संख्या में मौजूद हैं मंदिर
चित्रकूट क्षेत्र में धार्मिक स्थल और मंदिरों की बड़ी संख्या मौजूद है, जिनमें कुछ मंदिर शासकीय और वन विभाग की जमीन पर स्थित हैं, जबकि कुछ निजी जमीन पर हैं। इनमें से कुछ मंदिरों का प्रबंधन सतना कलेक्टर के पास है, जबकि कुछ निजी ट्रस्टों द्वारा संचालित होते हैं। वर्तमान और भविष्य में बढ़ते श्रद्धालु संख्या के मद्देनजर, शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि आवागमन, सुविधाओं, और भीड़ नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
इस संदर्भ में मध्यप्रदेश मां शारदा देवी मंदिर अधिनियम-2002 और महाकाल अधिनियम-1982 के तर्ज पर चित्रकूट के लिए भी एक विशेष अधिनियम बनाने की तैयारी की जा रही है। इस विषय पर सतना कलेक्टर ने आम नागरिकों और प्रबुद्धजनों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। सुझाव आठ दिसंबर तक कार्यालय चित्रकूट विकास प्राधिकरण जिला सतना (म.प्र.) या ई-मेल आईडी cdasatna@gmail.com पर भेजे जा सकते हैं।

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