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    जहां भगवान राम ने तुलसीदास को दिए थे दर्शन, विकास की राह ताक रही गुफा; गंदगी का अंबार, आती है भयंकर दुर्गंध

    By hemraj kashyapEdited By: Nitesh Srivastava
    Updated: Tue, 22 Aug 2023 01:02 PM (IST)

    Tulsidas Jayanti मान्यता है कि इस दौरान भगवान के दर्शन कई बार हुए लेकिन तुलसीदास हर बार पहचानने में चूक जाते थे। माघ की अमावस्या के दिन तुलसीदास के पा ...और पढ़ें

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    जहां भगवान राम के तुलसीदास को हुए दर्शन.. वह गुफा उपेक्षित

    जागरण संवाददाता, चित्रकूट : प्रभु श्रीराम की तपोभूमि का पर्यटन विकास योगी सरकार की प्राथमिकता में है लेकिन वह रामघाट जो आज मंदाकिनी आरती, लेजर शो और फुट ओवर ब्रिज के अलग पहचान रखता है वहीं पर स्थित संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास की गुफा उपेक्षित है।

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    इसकी टीस यहां के महंत मोहित दास में साफ देखी जा सकती है। वह कहते हैं कि जहां साक्षात भगवान राम ने तुलसीदास जी को दर्शन दिया। राम नाम की महिमा रामचरित का जन्म हुआ लेकिन दुखद है कि ऐसे स्थान पर पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन का ध्यान ही नहीं है।

    उन्होंने साधु संतों के साथ जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी को कई बार पत्र लिखा। तुलसी गुफा के मार्ग में गंदगी का अंबार है। गली में घुसते ही मूत्रालय बना है जिसकी दुर्गंध गुफा तक आती है। गली के विकास के लिए प्रशासन को कई बार अवगत कराया लेकिन अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया।

    तुलसीदास चंदन घिसे... की अनुभूति कराती है गुफा

    12 वर्ष अयोध्या, 12 वर्ष मथुरा वृंदावन व 12 वर्ष काशी में तुलसीदास रहे लेकिन प्रभु श्री राम के दर्शन नहीं हुए। काशी में हनुमान जी ने दर्शन दिया और बताया कि चित्रकूट में दर्शन होंगे। चित्रकूट जाकर राम नाम का जाप करिए।

    रामघाट किनारे एक छोटी सी मिट्टी की गुफा बनाकर तुलसीदास तपस्या करने लगे। जो आज तुलसी गुफा के नाम से प्रसिद्ध है। यहां पर अखंड ज्योति जलाकर 21 वर्ष तक तुलसीदास राम नाम का जाप करते हुए भगवान कामतानाथ की परिक्रमा करते थे।

    मान्यता है कि इस दौरान भगवान के दर्शन कई बार हुए लेकिन तुलसीदास हर बार पहचानने में चूक जाते थे। माघ की अमावस्या के दिन तुलसीदास के पास भगवान बालक के रूप में आए और चंदन लगाने के लिए मांगने लगे लेकिन उस समय भी वह भगवान को नहीं पहचान पाए तब हनुमान तोता रूप में प्रकट हो गए और उन्होंने दोहा सुनाया।

    ‘चित्रकूट के घाट पर भाई संतान की भीर तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर.. इस दोहे को सुनते ही गोस्वामी तुलसीदास जी को भगवान ने अपने दिव्य स्वरूप का संवत् 1607 में यानी कि आज से 471 वर्ष पहले दर्शन हुए। इसके बाद तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखने की प्रेरणा जागृत हुई।

    मंगल व शनिवार को लगती है अर्जी, 471 वर्ष से जल रही ज्योति

    इस गुफा में गोस्वामी तुलसीदास के हाथों से स्थापित तोतामुखी हनुमान जी विद्यमान है जिनके दर्शन के लिए भक्ति देश-विदेश से आते हैं मंगल शनिवार अर्जी लगाते हैं भंडारा करते हैं। भगवान सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। गुफा में तुलसीदास की चरण पादुका विद्यमान है उनके हाथों की प्रज्वलित अखंड ज्योत जो 471 वर्ष से जल रही है। तुलसीदास की गुफा मिट्टी की थी सन 1977 में बाढ़ के बाद इस गुफा का पक्का निर्माण किया गया।