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    चित्रकूट के भौंरी पहाड़ में मिले दुर्लभ प्रागैतिहासिक शैल चित्र, हजारों साल प्राचीन बता रहे इतिहासकार

    चित्रकूट के झांसी-मीरजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग-35 के किनारे स्थित भौंरी का पहाड़ में दुर्लभ प्रागैतिहासिक शैल चित्र मिले हैं जिन्हें इतिहासकार हजारों साल पुराने होने का दावा कर रहे हैं। अवैध खनन में तमाम चित्र नष्ट हो रहे हैं।

    By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sat, 05 Nov 2022 10:00 AM (IST)
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    चित्रकूट के झांसी-मीरजापुर किनारे पहाड़ में मिले शैल चित्र।

    चित्रकूट, जागरण संवाददाता। प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में मानव सभ्यता अनादिकाल से थी, इसके प्रमाण यहां पौराणिक धार्मिक स्थल व प्रागैतिहासिक शैल चित्र दे रहे हैं। ऋषियन आश्रम, बांके सिद्ध, सरहट, धारकुंडी आश्रम के बाद अब भौंरी के पहाड़ में शैल चित्र मिले हैं, जिसे इतिहासकार हजारों साल पुराने बता रहे हैं।

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    भौंरी के काली पाथर में इतिहासकार डा. संग्राम सिंह ने हजारों वर्ष पुराने दुर्लभ प्रागैतिहासिक शैल चित्र खोजे हैं। उन्हेांने बताया कि यह शैल चित्र पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक गुफा में हैं। पहाड़ के ऊपर समतल जगह पर तीन बड़ी गुफाएं हैं। पूर्वी गुफा के अंदर तीन जगहों पर दुर्लभ प्रागैतिहासिक शैल चित्र मिले हैं। गुफा में प्रवेश करते ही एक बड़े शैल चित्र में हिरण का अंकन दिखता है।

    मध्य भाग में छोटे-छोटे चित्रांकन है पर कुछ चित्रों नष्ट हो गए हैं और कुछ शैल चित्र संरक्षण के अभाव में खराब भी हो रहे हैं। गुफा के अंतिम पश्चिमी छोर में बहुत सुंदर और सुरक्षित अवस्था में शैलाश्रय मौजूद हैं। एक बड़ी शिला के नीचे और प्राकृतिक छत में बड़ी संख्या में शैल चित्र मिले हैं। इन शैल चित्रों की संख्या 30 है। यह पूरे शैल चित्र एक साथ एक पूरी पट्टिका में प्रदर्शित हैं।

    इन चित्रों में विशेष रूप से हिरण, बकरी, धनुषधारी मनुष्य, कुत्ता, गाय व घोड़े का चित्रण है। दूसरे शिलाखंड में विविध प्रकार के 18 चित्र हैं। एक साथ तमाम धनुषधारी बाण लिए मनुष्यों के प्रागैतिहासिक शैल चित्र है। डा. सिंह ने बताया कि सर्वप्रथम वर्ष 1883 में इतिहासकार काकवर्न ने चित्रकूट के समीप स्थित शैल चित्रों की खोज की थी।

    आर्कियोलाजी एंड कल्चरल हिस्ट्री आफ बांदा डिस्ट्रिक्ट के पृष्ठ 61 में डा. सीएल दुबे ने चित्रकूट अंचल के प्रागैतिहासिक शैल चित्रों के बारे में जानकारी दी थी। निदेशक भारतीय पुरातत्व विभाग झांसी जुल्फकार अली का कहना है कि मेरे संज्ञान में अभी नहीं आया है। चित्रकूट में कई सर्वे हुए हैं। यह कोई नया शोध है तो उसे दिखवाते हैं।