आज से शुरू होगी रानीपुर टाइगर रिजर्व की रोमांचक जंगल सफारी, वन निगम ने दी ये बड़ी सुविधा
आज से रानीपुर टाइगर रिजर्व में रोमांचक जंगल सफारी शुरू हो रही है। वन निगम द्वारा पर्यटकों को दी गई इस सुविधा से वे बाघों और अन्य वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकेंगे। यह पहल पर्यटन को बढ़ावा देने और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास है।

हेमराज कश्यप, चित्रकूट। बारिश के बाद रानीपुर टाइगर रिजर्व के हरे-भरे जंगल एक बार फिर पर्यटकों के स्वागत को तैयार हैं। यह रिजर्व आम सैलानियों के लिए आज खोल फिर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश वन विभाग ने यहां सफारी की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। पर्यटकों को रोमांचक अनुभव दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश वन निगम की दो सफारी गाड़ियां तैनात की गई हैं। फील्ड निदेशक शनिवार को बच्चों के साथ सफारी कर इसका औपचारिक शुभारंभ करेंगे।
रानीपुर टाइगर रिजर्व प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव दर्शकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन गया है। यहां पर्यटक बाघ, तेंदुआ, हिरन, भालू समेत कई दुर्लभ वन्यजीवों को करीब से देख सकेंगे। रिजर्व में सफारी के लिए चार अलग-अलग रूट तय किए गए हैं किनिहया से चौरी, चौरी से कल्याणपुर गेट तक। एक बार की सफारी लगभग 30 किलोमीटर की होगी, जिसमें पर्यटकों को जंगल की गहराइयों और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत अनुभव मिलेगा।
यहां बनाया बगा एंट्री गेट
रिजर्व में प्रवेश का गेट मारकुंडी के पास बनाया गया है, जहां टिकट की बुकिंग की जा सकती है। पर्यटक 2500 रुपये में जिप्सी बुक कर जंगल की सैर कर सकते हैं। प्रवेश शुल्क प्रति व्यक्ति 80 रुपये है, जबकि विदेशी सैलानियों को 1000 रुपये देना होगा। पांच से 12 वर्ष के बच्चों का टिकट 25 रुपये तथा विदेशी बच्चों का 300 रुपये रखा गया है। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है। वहीं, स्थानीय विद्यालयों के बच्चों को स्कूल की अनुमति के आधार पर मुफ्त सफारी कराई जाएगी।
रानीपुर टाइगर रिजर्व तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मानिकपुर जंक्शन है, जो लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है। ट्रेन से आने वाले यात्री मानिकपुर स्टेशन से ऑटो या कार लेकर मारकुंडी के प्रवेश द्वार तक पहुंच सकते हैं। बस से आने वालों के लिए चित्रकूटधाम कर्वी बस स्टैंड सबसे नजदीकी पड़ाव है, जहां से टाइगर रिजर्व की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है।
वाहनों और कैमरे के शुल्क तय
वन विभाग ने सफारी वाहनों के लिए अलग नियम निर्धारित किए हैं। केवल वही जिप्सी वाहन जंगल में प्रवेश पा सकेंगे, जिन्होंने 5000 रुपये देकर विभाग में पंजीकरण कराया हो। सफारी मार्ग शुल्क भारतीयों के लिए 300 रुपये और विदेशियों के लिए 600 रुपये है। कैमरा ले जाने पर स्थानीय लोगों को 450 रुपये और विदेशी पर्यटकों को 1800 रुपये शुल्क देना होगा। व्यावसायिक शूटिंग के लिए सक्षम अधिकारी की अनुमति और 8500 रुपये का शुल्क अनिवार्य है।
प्रकृति के बीच रात गुजारने की सुविधा
वन विभाग ने पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था भी की है। किहुनिया क्षेत्र में चार आकर्षक ‘स्वीट काटेज’ बनाए गए हैं, जहां पर्यटक जंगल की शांति और सुकून का अनुभव कर सकते हैं। प्रति रात किराया भारतीय पर्यटकों के लिए 3000 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 6000 रुपये रखा गया है। मारकुंडी रेंजर नदीम ने बताया कि रानीपुर टाइगर रिजर्व एक नवंबर से पर्यटकों के लिए पूरी तरह तैयार है। हमारा प्रयास है कि यहां आने वाले सैलानी जंगल की सुंदरता, वन्यजीवों और ईको-टूरिज्म का अविस्मरणीय अनुभव लेकर जाएं।
ग्लास स्काई वाक ब्रिज भी बनकर सैर को तैयार
तुलसी (शबरी) जल प्रपात में बना प्रदेश का पहला ग्लास स्काई वाक ब्रिज भी बनकर तैयार ही। उसका सुरक्षा आडिट आइआइटी बीएचयू बनारस की टीम कर चुकी है जिसके रिपोर्ट एक सप्ताह में आने की संभावना है। वन विभाग की ओर से वहां पर साफ-सफाई करा दी गई है।
शुल्क सूची
जिप्सी सफारी (भारतीय) - 2500
प्रवेश शुल्क (भारतीय) - 80
प्रवेश शुल्क (विदेशी) - 1000
कैमरा शुल्क (भारतीय) - 450
कैमरा शुल्क (विदेशी) - 1800
काटेज रेंट (भारतीय) - 3000
काटेज रेंट (विदेशी) - 6000
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