प्रदूषण से सिसक रही पौराणिक नदी मंदाकिनी
हेमराज कश्यप चित्रकूट मंदाकिनी नदी मानव सभ्यता की सबसे प्राचीन नदियों में एक है। उसको मह

हेमराज कश्यप, चित्रकूट : मंदाकिनी नदी मानव सभ्यता की सबसे प्राचीन नदियों में एक है। उसको महर्षि अत्री की प्यास बुझाने के लिए माता अनुसुइया ने प्रकट किया था, लेकिन आज लाखों नगर वासियों की प्यास बुझाने वाले पौराणिक नदी प्रदूषण में सिसक रही है। जिसके किनारे भगवान राम ने वनवास का अधिकांश समय व्यतीत किया और तुलसीदास ने इसी नदी की बूंदों से बनी स्याही से रामचरित मानस लिखा। आज वह अपने अस्तित्व को लड़ रही है।
करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र मंदाकिनी में गिर रहे सीवर के नालों से पानी काफी दूषित है। खास कर यह स्थिति नगरीय क्षेत्र के पन्नालाल घाट, राजा साहब घाट, पुल घाट और सुंदर घाट में है। इन घाटों में प्लास्टिक, कचरा, घास आदि का जबरदस्त अंबार लगा है। सुबह लोगों इसी प्रदूषण के बीच डुबकी लगाते हैं। अगर समय रहते हुए मंदाकिनी की अविरलता निर्मलता के लिए हमारा समाज, संत, श्रद्धालु और राज्य मिलकर पहल नहीं करता है तो निश्चित रूप से मां मंदाकिनी सिर्फ इतिहास के पन्नों में ही नजर आएगी। इसलिए हां मंदाकिनी की अविरलता निर्मलता के लिए समाज के सभी लोगों को आगे आकर नदी की लड़ाई लड़ने होगी। समाजसेवियों ने शुरू किया संपर्क अभियान
मंदाकिनी के किनारे सभी घाटों में समाजसेवियों ने एक संपर्क अभियान शुरू किया है। नदी को समझने के लिए विश्व जल दिवस 22 मार्च को मंदाकिनी नदी के उद्गम स्थल से सती अनुसुइया आश्रम से चलकर पैदल मार्च करते हुए मंदाकिनी संगम राजापुर के भदेहदु गांव समापन किया जाएगा। स्फटिक शिला घाट पर गुरुवार को संपर्क अभियान चलाया गया। गंगा विचार मंच के राष्ट्रीय संयोजक डा भरत पाठक, सेंटर फार वाटर पीस के संजय कश्यप व इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र रामबाबू तिवारी की टीम मंथन किया। तिवारी ने बताया कि यात्रा में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सभी घाटों में संपर्क अभियान करने के बाद सामाजिक संस्थाओं, धार्मिक संस्थाओं व शैक्षणिक संस्थाओं से संपर्क अभियान होगा। उसके बाद यात्रा के लिए एक केंद्रीय टोली का गठन किया जाएगा। यही टोली अभियान की रूपरेखा तय करेगी। मंदाकिनी के 1100 सक्रिय कार्यकर्ता का निर्माण कार्य करना है।
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