Updated: Sun, 07 Sep 2025 09:15 PM (IST)
रविवार को चंद्रग्रहण के कारण चित्रकूट के कामदगिरि सहित कई मंदिरों के कपाट दोपहर से ही बंद कर दिए गए। सूतक काल लगने से श्रद्धालुओं ने घरों में ही भजन-कीर्तन किया। मंदिर के पुजारी ने बताया कि ग्रहण के बाद मंदिरों को फिर से खोला जाएगा। चित्रकूट में ग्रहण काल का विशेष महत्व है जिसमें दान और जप का विशेष फल मिलता है।
जागरण संवाददाता, चित्रकूट । रविवार को चंद्रग्रहण के कारण धार्मिक परंपराओं का पालन करते हुए कामदगिरि मुखारविंद सहित तपोभूमि के प्रमुख मंदिरों के कपाट दोपहर 12:50 बजे से बंद कर दिए गए। दोपहर में सूतक काल प्रारंभ हो गया था, जबकि ग्रहण रात में लगा। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मंदिरों में प्रवेश न कर घरों में रहकर भजन-कीर्तन, मंत्र जाप और प्रभु स्मरण में समय बिताया।
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रविवार की छुट्टी में दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं को मंदिरों के पट बंद होने पर मायूसी हाथ लगी। कामदगिरि मुखारविंद मंदिर के प्रधान पुजारी भरतशरण मिश्रा ने बताया कि शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार सूतक और ग्रहण काल में पूजा-पाठ व मंदिर दर्शन वर्जित होते हैं।
दोपहर में मंदिरों के पट कर दिए थे बंद
इसलिए दोपहर में मंदिरों के पट बंद कर दिए गए थे। ग्रहण समाप्त होने के बाद सोमवार सुबह आरती के साथ मंदिरों के कपाट खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं ने धार्मिक नियमों का पालन करते हुए घर पर ही आध्यात्मिक साधना की।
चित्रकूट जैसे तीर्थ स्थल पर ग्रहण काल का विशेष धार्मिक महत्व होता है। इस समय किए गए स्नान, दान और जप से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं से सहयोग की अपील की है ताकि परंपराएं ससम्मान निभाई जा सकें।
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