चित्रकूट के लोगों के लिए खुशखबरी! खोह रेलवे ओवर ब्रिज को लेकर आया बड़ा अपडेट; आठ साल से अधूरा पड़ा है काम
चित्रकूट के लोगों के लिए खुशखबरी! आठ साल से अधूरा पड़ा खोह रेलवे ओवरब्रिज (Khoh Railway Overbridge) का निर्माण जल्द शुरू होगा। रेलवे बोर्ड ने नए डिजाइन को मंजूरी दे दी है जिसके चलते ठेकेदार को अधिक भुगतान किया जाएगा। इस ब्रिज के बनने से कालूपुर से लालता रोड तक हाईवे का चौड़ीकरण होगा और जाम की समस्या से निजात मिलेगी।

प्रवीण कुमार, चित्रकूट। जिले के लोगों के लिए खुशी की बात है कि खोह रेलवे क्रांसिंग में लगने वाले जाम से जल्द छुटकारा मिलेगा। आठ साल से अधूरे पड़े रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। रेलवे बोर्ड ने ब्रिज के नई डिजाइन को मंजूरी दे दी है। उसके एवज में ठेकेदार को अधिक भुगतान भी किया जाएगा।
झांसी-मीरजापुर राष्ट्रीय राजमार्ग-35 में कालूपुर से खोह रेलवे क्रासिंग के ऊपर एक किमी लंबा रेलवे ओवर ब्रिज बनाकर लालता रोड तक हाईवे के चौड़ीकरण करने का काम वर्ष 2015 में पास हुआ था। ये कुल 41 किमी लंबी परियोजना थी। जिसमे लगभग एक किमी लंबा खोह रेलवे ओवर ब्रिज को छोड़कर बाकी चौड़ीकरण करने का काम तो पूरा हो चुका है लेकिन ब्रिज की डिजाइन को लेकर रेलवे प्रशासन ने आपत्ति लगा दी थी जो अभी तक अधूरा पड़ा था।
जिसको लगभग 8 साल बीत गया है अब रेलवे प्रशासन ने नई डिजाइन के साथ ब्रिज बनाने की मंजूरी दे दी हैं। पहले इस ब्रिज को बनाने के लिए 22 करोड़ रुपये की लागत आ रही थी। अब इसे नई डिजाइन के तहत बनाने के लिए लगभग नौ करोड़ रुपये का अधिक खर्च आएगा। जिसका एग्रीमेंट तैयार कर मंत्रालय को भेजा गया जैसे ही मंत्रालय से स्वीकृति हो जाएगी वैसे ही काम शुरू हो जाएगा।
रोज लगता है लंबा जाम, फंसते हैं घंटों लोग
मानिकपुर-बांदा रेल लाइन का यह महत्वपूर्ण ब्रिज हैं ये रास्ता सीधे कर्वी, लालता रोड, रामनगर, रईपुरा होते हुए सीधे प्रयागराज को जाता हैं। रोज दहाई के आंकड़ों गंभीर मरीज जिला अस्पताल से प्रयागराज एसआरएन अस्पताल के लिए रेफर होते हैं। ग्रामीणों ने बताया की पूरा दिन जाम की स्थिति बनी रहती हैं कभी कभी तो जाम में घंटों एंबुलेंस भी फंसी रह जाती हैं। नो इंट्री खुलने के बाद तो रोज एक किमी तक का लंबा जाम लगता हैं।
विद्युतीकरण के कारण फेल हुई थी डिजाइन
इस रेलवे ओवर ब्रिज की डिजाइन जब बनी थी उस समय मानिकपुर-बांदा रेल लाइन में विद्युतीकरण नहीं हुआ था। निर्माण कार्य चलते-चलते विद्युतीकरण हो गया। जिस पर रेलवे ने डिजाइन को फेल कर दिया था। तभी से मामला अटका था।
इनका कहना है
‘खोह रेलवे ओवर ब्रिज को नई डिजाइन से बनाने की मंजूरी मिल गई हैं। ब्रिज बनाने में पहले की अपेक्षा नौ करोड़ रुपये का खर्च अधिक लगेगा। जिसका एग्रीमेंट तैयार कर मंत्रालय को भेज गया है।
मृत्युंजय कुमार (अधिशाषी अभियंता) राष्ट्रीय राजमार्ग लोनिवि बांदा
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