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    मिशनरियों का प्रभाव- गिदुरहा बना ‘पाकदिलपुर’, जारी दोहरा लाभ, पहचान और योजनाओं के लाभ पर गहराए सवाल

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 05:16 PM (IST)

    गिदुरहा, जो अब ‘पाकदिलपुर’ के नाम से जाना जाता है, मिशनरियों के प्रभाव के कारण अपनी पहचान खो रहा है। स्थानीय लोगों को दोहरा लाभ मिल रहा है, लेकिन इससे ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, चित्रकूट। मानिकपुर विकासखंड के रानीपुर टाइगर रिजर्व के घने जंगलों में बसे ग्राम पंचायत गिदुरहा का एक हिस्सा आज ‘पाकदिलपुर’ के नाम से पहचान बना चुका है। यहां रहने वाली आदिवासी कोल एवं दलित आबादी का बड़ा हिस्सा वर्षों से मिशनरी गतिविधियों के प्रभाव में है।

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    गांव के लगभग 50 घरों में से 80 प्रतिशत परिवार ईसाई पद्धति से प्रार्थना करते हैं, चर्च जाते हैं और पाकदिलपुर में संचालित ईसाई विद्यालय में अपने बच्चों को पढ़ाते हैं। इसके बावजूद सरकारी अभिलेखों में इनका नाम अब भी अनुसूचित जाति और जनजाति के रूप में दर्ज है।

    यही कारण है कि गांव की लगभग 300 की आबादी मतांतरण के बावजूद सरकारी योजनाओं का दोहरा लाभ ले रही है। हाईकोर्ट ने हाल ही में मतांतरण कर चुके व्यक्तियों द्वारा दोहरा लाभ को अनुचित बताया हैं। इसके बाद जिले के हालात पर सवाल और गहरे हो गए हैं।

    बजरंग दल जिला सह संयोजक शिवेंद्र सिंह का कहना है कि जनपद में शायद ही कोई गांव बचा हो जहां चार-छह परिवार मतांतरण के बाद भी सरकारी योजनाओं का लाभ न ले रहे हों।

    उनका आरोप है कि अब मिशनरियों ने नाम परिवर्तन से बचने का नया तरीका अपनाया है। वे केवल पूजा-पद्धति बदलवाते हैं, जिससे समुदाय के लोग आसानी से अपनी पूर्व नाम व जाति दर्ज कर सरकारी लाभ उठाते रहते हैं।

    जिला समाज कल्याण अधिकारी वैभव त्रिपाठी का कहना है कि सरकारी योजनाओं में लाभ जातिगत आधार पर दिया जाता है, धर्म का कोई उल्लेख नहीं होता।

    ऐसे में यह पहचानना कठिन हो जाता है कि किन लोगों ने मतांतरण किया है और कौन योजनाओं का पात्र है। प्रशासनिक दृष्टि से यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि मतांतरण का कोई आधिकारिक रिकार्ड उपलब्ध नहीं होता।

    मिशनरी गतिविधियों का बढ़ता दायरा केवल मानिकपुर तक सीमित नहीं है, बल्कि मऊ और बरगढ़ जैसे पिछड़े क्षेत्रों तक पहुंच चुका है, जहां वंचित समाज को शिक्षा व सहायता के नाम पर चर्च से जोड़ा जा रहा है।

    हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद अब जरूरी है कि जिला प्रशासन इस दोहरे लाभ की व्यवस्था पर ठोस कदम उठाए, ताकि सरकारी योजनाओं के वास्तविक पात्रों को ही लाभ मिल सके।