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    गुलामी के युग में भी भक्ति और शक्ति से तुलसीदास ने जाग्रत रखी जनचेतना, तुलसी जयंती समारोह में बोले CM योगी

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 07:36 PM (IST)

    चित्रकूट में तुलसी जयंती समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि तुलसीदास ने विपरीत परिस्थितियों में भी भक्ति और शक्ति से जनचेतना को जागृत रखा। उन्होंने कहा कि जब देश के राजे-रजवाड़े विदेशी ताकतों के अधीन थे तब तुलसीदास ने रामलीला और श्रीरामचरितमानस के माध्यम से प्रतिकार किया। उन्होंने जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज और संत मुरारी बापू के प्रति आभार व्यक्त किया और श्रीरामकथा के प्रचारकों को सम्मानित किया।

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    संत तुलसीदास के जयंती समारोह में बोलते हुए सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ।

    चित्रकूट ब्यूरो। धार्मिक नगरी चित्रकूट में संत तुलसीदास के जयंती समारोह (तुलसी जयंती) में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 500 वर्ष पूर्व जब इस गांव की स्थिति शायद साधनों के अभाव और कठिनाइयों से ग्रस्त रही होगी, ऐसे समय में एक दिव्य आत्मा ने जन्म लिया और बाल्यावस्था में ही प्रभु श्रीराम के चरणों में स्वयं को समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि उस कालखंड में जब अकबर का साम्राज्य विस्तार पर था और दरबार में जगह पाने की होड़ थी, तब गोस्वामी तुलसीदास ने रामबोला के रूप में खुद को किसी दरबारी की सेवा में नहीं बल्कि केवल प्रभु श्रीराम की भक्ति में समर्पित किया।

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    सीएम योगी ने कहा कि जब देश के राजे-रजवाड़े विदेशी आक्रांता की अधीनता स्वीकार कर रहे थे, उस समय तुलसीदास जैसे संत भक्ति और शक्ति के अद्भुत संगम के रूप में जनचेतना को जाग्रत कर रहे थे। उन्होंने प्रतिकार का मार्ग तलवार नहीं, रामलीला और श्रीरामचरितमानस के माध्यम से चुना। मुख्यमंत्री ने उस समय की राजनीतिक चालबाजियों की ओर भी संकेत किया।

    उन्होंने कहा कि अकबर ने अपने शासन का एक सॉफ्ट चेहरा प्रस्तुत किया, पर उसके पीछे की क्रूरता आज भी हमें दिखती है। संतों की परंपरा उस समय भी दृढ़तापूर्वक उसका प्रतिकार कर रही थी। मुख्यमंत्री ने इस ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम में आमंत्रित किए जाने पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज और संत मुरारी बापू के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने श्रीरामकथा के प्रचारकों को तुलसी अवार्ड व रत्नावली अवार्ड से सम्मानित किया गया।

    श्रद्धालुओं की आस्था और प्रेरणा का केंद्र है चित्रकूट

    चित्रकूट की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह वही धरती है, जहां ऋषि-मुनियों ने तप किया, जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का सबसे लंबा समय बिताया। यह वही धरती है जिसने रामायण और श्रीरामचरितमानस जैसे ग्रंथों की रचना की आधार भूमि प्रदान की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि संतों के दर्शन के लिए चित्रकूट आना उनके लिए सौभाग्य है। गोस्वामी तुलसीदास की स्मृति को जीवित रखने के लिए संत मोरारी बापू द्वारा किया गया प्रयास सराहनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में चित्रकूट को विरासत के साथ विकास से जोड़ने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। यह स्थान केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और प्रेरणा का केंद्र है।

    श्रीराम नाम के स्मरण से धन्य होगा जीवन

    मुख्यमंत्री ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के संदर्भ में जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज के योगदान की भी चर्चा की और कहा कि जब प्रमाण मांगे गए तो उनके सामने ही जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने धाराप्रवाह बोलना शुरू किया, तो वह भौचक्के रह गए। यही भगवान की सिद्धि है। उन्होंने संत मोरारी बापू द्वारा आगामी श्रीरामकथा आयोजनों को प्रयागराज, अयोध्या और काशी में किए जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि श्रीराम नाम का स्मरण कर हर कोई अपने जन्म को धन्य करेगा।

    जिनका जीवन विवादित, वही संतों को विवादों में घसीट रहे

    मुख्यमंत्री ने संतों को विवादों से जोड़ने वाले लोगों पर भी करारा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर संतों को विवादों में लाने का प्रयास कर रहे है। ऐसा वही कर रहे हैं, जिनका जीवन विवादित है। वे लगातार विघ्न और बाधा खड़ी करने की कोशिश करेंगे, लेकिन इसकी चिंता न करते हुए सभी को सनातन धर्म और भारत की समृद्ध विरासत की रक्षा के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होगा। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने तुलसी अवार्ड और रत्नावली अवार्ड से सम्मानित सभी श्रीरामकथा मर्मज्ञों को बधाई दी और इसे सनातन धर्म के प्रति उनके योगदान का सम्मान बताया।

    इस मौके पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज, श्रीरामकथा व्यास संत मोरारी बापू, महामण्डलेश्वर संतोषाचार्य महाराज (सतुआ बाबा), प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, जनपद के प्रभारी मंत्री मनोहर लाल (मन्नू कोरी), तुलसीपीठ के उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास सहित सम्बन्धित अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

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