चित्रकूट खनन घोटाले में अधिकारियों पर कोर्ट का शिकंजा, खनिज अधिकारी व इंस्पेक्टर सहित चार पर FIR के आदेश
चित्रकूट में खनिज पट्टा धारक और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत का मामला सामने आया है। सीजेएम कोर्ट ने पूर्व जिला खनिज अधिकारी और खान निरीक्षक सहित चार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। हरिओम ने आरोप लगाया था कि खदान लीज होल्डर ने अवैध रूप से खनन किया और नियमों का उल्लंघन किया। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया साक्ष्यों को गंभीर मानते हुए यह आदेश दिया है।

जागरण संवाददाता, चित्रकूट। खनिज पट्टा धारक और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजे lएम) की अदालत ने हरिओम उर्फ पिंटू द्वारा दायर एक प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश पारित किया है।
अदालत ने प्रथम दृष्टया साक्ष्यों को गंभीर मानते हुए पूर्व जिला खनिज अधिकारी सुधाकर सिंह, खान निरीक्षक मिंटू कुमार सिंह सहित चार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर विवेचना प्रारंभ करने के आदेश दिए हैं।
पिंटू ने लगाया आरोप
भरतकूप के रहने वाले हरिओम उर्फ पिंटू ने आरोप लगाया कि उसके खिलाफ दिनांक 23 दिसंबर 2021 को फर्जी बिल और झूठे आरोप लगाकर थाना भरतकूप में एक शिकायत दी गई थी, जिस पर बाद में दिनांक 22 जून 2022 को मुकदमा अपराध संख्या दर्ज कर लिया गया। विवेचक द्वारा की गई जांच में तथ्यों को तोड़-मरोड़ पेश करना पाया गया।
नौकरी से हटा दिया गया
मुकदमे में दर्ज किया गया कि उसको उसी दिन नौकरी से हटा दिया गया, जबकि उसने आरोपित रामबाबू गर्ग की फर्म में कभी काम ही नहीं किया था। इस मनगढ़ंत आरोप के आधार पर पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट 26 मार्च 2023 को दाखिल कर दी गई।
शिकायत भेजी थी
हरिओम ने बताया कि इस मामले को लेकर जनसुनवाई पोर्टल के माध्यम से जिलाधिकारी को भी 24 सितंबर 2024 को शिकायत भेजी थी कि खदान लीज होल्डर रामबाबू गर्ग ने बिना वैध फोरमैन लाइसेंस के अवैध रूप से खनन किया। ट्रक नंबर UP 70 AN 6865 की बनावट में बदलाव कर 10 टायर की जगह 12 और 14 टायर दिखाए गए, ताकि अधिक मात्रा में रॉयल्टी दर्शाई जा सके।
रॉयल्टी एक ही रात में निकाली
यही नहीं, खदान की लीज की वैधता समाप्त होने के बावजूद भारी मात्रा में रॉयल्टी एक ही रात में निकाली गई। आरोप है कि इस कार्य के लिए बिना अनुमति जेसीबी व पोकलैंड जैसी मशीनों का भी प्रयोग किया गया, जबकि केवल मजदूरों से कार्य करने की अनुमति थी।
खनन विभाग के नियमों का हवाला
खनन विभाग के नियमों के अनुसार लीजधारक को सीसीटीवी कैमरा, बिक्री रजिस्टर, साइन बोर्ड, स्टॉक की जानकारी, ट्रांसपोर्ट पास इत्यादि का पालन करना होता है, लेकिन आरोप है कि लीजधारक ने इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं किया। इतना ही नहीं, 7000 घन मीटर रॉयल्टी सिर्फ दो दिनों में मजदूरों से निकालने की बात दर्शाई गई, जो व्यावहारिक रूप से संभव ही नहीं है। यदि मजदूरों से कार्य लिया गया होता, तो लगभग 10,000 मजदूरों की आवश्यकता पड़ती, लेकिन किसी भी मजदूर का नाम, पता या पहचान पत्र संलग्न नहीं किया गया।
ये भी लगाए आरोप
यह भी आरोप लगाया कि खनिज भंडारण हेतु गाटा संख्या 679, रकबा 0.197 हेक्टेयर भूमि पर बिना निर्धारित शर्तों को पूरा किए भंडारण किया गया, जिसमें सीसीटीवी, बिक्री मूल्य प्रदर्शन, वैध ट्रांसपोर्ट पास आदि का कोई पालन नहीं किया गया। इस पूरे मामले में सीजेएम कोर्ट ने जब संबंधित थाने से आख्या मंगाई तो थाने की रिपोर्ट में भी विपक्षीगण द्वारा कोई आपत्ति नहीं दाखिल की गई। यह स्पष्ट हुआ कि न तो पुलिस ने निष्पक्ष जांच की, न ही आरोपी पक्ष की ओर से कोई कानूनी स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया गया।
हरिओम के दिए गए तथ्यों और दस्तावेजों को प्रथम दृष्टया सत्य मानते हुए कोर्ट ने धारा 175(3) BSA के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करने और आगे की विधिक कार्यवाही प्रारंभ करने के निर्देश दिए।
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