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चित्रकूट के गधा मेला का कोरोना में फीका पड़ा रंग

जागरण संवाददाता चित्रकूट पांच दिवसीय दीपदान मेला में अंतिम दो दिन गधा मेला लोगों के आकर्षण

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 11:19 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 11:19 PM (IST)
चित्रकूट के गधा मेला का कोरोना में फीका पड़ा रंग
चित्रकूट के गधा मेला का कोरोना में फीका पड़ा रंग

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : पांच दिवसीय दीपदान मेला में अंतिम दो दिन गधा मेला लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। हालांकि कोरोना की मार के कारण धर्मनगरी में विशेष पशु मेला फीका रहा। बाहर से खरीदार व व्यापारी कम आए। फिर अपने आप में अनूठे गधा मेला का लोगों ने जमकर लुफ्त उठाया।

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मंदाकनी तट पर नगर पंचायत नयागांव (चित्रकूट) मध्य प्रदेश की ओर से लगने वाले इस ऐतिहासिक मेले में दूर-दूर से गधे कारोबारी आते हैं। हीरो व हिरोइन के नाम पर गधों को बोली लगती है। बीते साल अधिकतम पांच लाख तक के गधे बिके थे लेकिन इस साल कोरोना के कारण कारोबार प्रभावित रहा। मेले में करीब दस हजार अलग-अलग नस्ल के गधे आए थे। मेले में गधों की कीमत पांच हजार से लेकर पचास हजार रुपये तक लगी। शंकर गढ़ प्रयागराज से आए व्यापारी ओम प्रकाश, धर्म प्रसाद ने बताया कि कोरोना के कारण मेला मे काफी कम गधे आए हैं। हर साल गधों की संख्या 30 से 40 हजार होती थी। अच्छी नस्ल के कम गधे रहें। मेला से संयोजक रमेशचंद्र पांडेय ने कहा कि मेला में लखनऊ, दिल्ली व जम्मू कश्मीर तक के व्यापारी अपने गधे लेकर आते थे लेकिन इस साल यहां से कोई व्यापारी नहीं आए। इसलिए मेले में पांच से 50 हजार कीमत तक का गधों की बिक्र हुई। कोरोना के चलते अन्य वर्षों की अपेक्षा काफी कम जानवर पहुंचे हैं। औरंगजेब के समय से परंपरा

मंदाकिनी के किनारे लगने वाले इस मेले की परंपरा मुगल काल में शुरू हुई थी। मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस ऐतिहासिक मेला को शुरू किया था। चित्रकूट में औरंगजेब के सेना में घोड़ों की कमी हो गई थी। अपनी सेना के गधों और खच्चरों शामिल करने के लिए ऐतिहासिक मेला लगाया था।

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पांच दिवसीय दीपदान मेला संपन्न

चित्रकूट में दीपावली पर पांच दिवसीय दीपोत्सव हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गया। कोरोना के कारण में अन्य सालों की तरह आस्था का सैलाब तो नजर नहीं आया लेकिन करीब दस लाख श्रद्धालुओं के मंदाकिनी व कामदगिरि में दीपदान किया। देश के कोने-कोने से आए श्रद्धालुओं के कारण धर्मनगरी धनतेरस से भैय्या दूज तक आस्था व उल्लास में डूबी रही। अंतिम दो दिन धर्मनगरी मे देवारी नृत्य व गधा मेला आकर्षण के केंद्र रहे। बुंदेलखंड के कई जिले से आई टीमों ने मनमोहक देवारी नृत्य के साथ लाठी युद्ध का हैरत अंगेज प्रदर्शन किया।


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