ददुआ कोई साधु नहीं बल्कि डकैत था : आरके पटेल
चित्रकूट, जागरण संवाददाता : समाजवादी पार्टी से बांदा-चित्रकूट सांसद आरके सिंह पटेल ने कहा कि दस्यु ददुआ के पुत्र वीर सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए उन्होंने उस समय बसपा से गद्दारी की थी। जिसका उन्हें खामियाजा भी भोगना पड़ा और उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। पटेल ने कहा ददुआ कोई साधु नहीं था ना ही वह कुर्मी जाति का हितैषी था वह तो सिर्फ डाकू था जिसका सिर्फ पैसे से प्रेम था। इसके लिए उसने अपनों का ही उत्पीड़न कराया था। आज उसे उसी के परिवार के लोग उसको मसीहा बता रहे हैं। मुख्यालय के शंकर बाजार में सपा के कार्यकर्ता सम्मेलन में मंगलवार को सांसद आरके पटेल ने दस्यु ददुआ के भाई व मिर्जापुर सांसद बाल कुमार पटेल के बयान पर पलटवार किया और उन सभी एहसान को भी गिनाया जो कभी उन्होंने बालकुमार के ऊपर किए थे। गत दिनों बाल कुमार ने आरके पटेल पर ददुआ से संबंध होने के आरोप लगाए थे। जिसका जबाव देते हुए सांसद श्री पटेल ने कहा कि कुछ लोग भ्रांति पैदा कर रहे हैं। वीर सिंह को पहले पार्टी ने संभावित प्रत्याशी बनाया गया था क्योंकि पहले संभावित सूची घोषित की गई थी। बाल कुमार खुद नहीं चाहते कि वीर सिंह पंट्टी से चुनाव लड़े। उन्होंने पार्टी मुखिया से अपने बेटे राम सिंह के लिए पंट्टी से टिकट मांगा था। इस पर पार्टी मुखिया मुलायम सिह यादव ने राम सिंह को पंट्टी से टिकट देने को कहा और वीर सिंह का टिकट काटने की बात कही थी। इस पर नेताजी से उन्होने कहा था कि अनर्थ हो जाएगा। चार साल वीर सिंह ने पंट्टी में काम किया है इसलिए उसे वहां से लड़ाया जाए। तब वीर सिंह को पंट्टी और सुनील को यहां से टिकट दिया गया है। आरके पटेल ने कहा कि दस्यु ददुआ को मरे साढ़े चार साल हो गए तब उन पर किसी ने कोई इल्जाम नहीं लगाया। आज जेल में बंद डाकू के माध्यम से उन पर आरोप लगाए जा रहे है कि असलहा खरीदने का काम सुनील पटेल ने किया है। ऐसे आरोप तो पागलपन है। सबको पता है कि ददुआ कोई साधु नहीं था वह डकैत था उसने सभी को लूटा है। किसी को नहीं छोड़ा है। एक-एक विकास कार्य में ठेकेदारों से दस-दस प्रतिशत कमीशन लिया है। जिसमे सबसे अधिक पीड़ित कुर्मी जाति के ठेकेदार थे। उन्होंने कहा कि ददुआ द्वारा वसूले गए कमीशन का पैसा कहां गया है यह बात सबको पता है। आरोप लगाने वालों के पास कौन सा कारोबार था कि वे लग्जरी गाड़ियों में घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाल कुमार वर्ष 1996 में उन्हें एक टूटी मोटर साइकिल में मिला था। उस समय उन्होंने बाल कुमार को दद्दू प्रसाद के जरिए बसपा में शामिल करवाया था और करछना से चुनाव लड़ाया था। सांसद ने कहा उन्होंने वीर सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए बसपा से गद्दारी की थी। उसके खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था। यह गुनाह उन्होंने कुर्मी जाति के भले के लिए किया था। जिसकी सजा में उन्हें बसपा से बाहर का रास्ता दिखाया गया था।
फफक कर रो पड़े सांसद
सम्मेलन के दौरान सांसद इतने भावुक हो गए कि मंच पर ही फूट-फूट कर रोने लगे। उन्होंने कहा कि सपा सहित सभी पार्टियां सांसदों के पुत्र, पत्नी और परिजनों को टिकट बांट रही हैं तो उन्होंने भी पार्टी मुखिया से अपने पुत्र सनील सिंह के लिए टिकट मांगा था। इसमे उन्होंने कोई गुनाह नहीं किया है। साढ़े चार साल उन्होंने इस सीट में काम किया है, विकास के रास्ते खोले है। आज अधूरे कामों को पूरा करने के लिए सरकार की जरूरत है। आने वाली सरकार सपा की बनेगी। उसमें भागीदारी को सुनील सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। जब तक विधायक और सांसद सरकार में नहीं होते तो वह सड़क के पैदल आदमी होते है। इतना कहते-कहते वह फफक कर रो पड़े और मंच में बैठ गए।
दर्जनों प्रधानों ने ली सदस्यता
सम्मेलन में तमाम प्रधानों और अन्य नेताओं ने दूसरी पार्टियों को छोड़कर सपा की सदस्यता ग्रहण की। जिनमें लोढ़वारा के प्रधानपति सिद्धार्थ त्रिपाठी, चकजाफर के शिवचरण वर्मा, पड़री के रामसुहावन यादव, लक्ष्मी प्रसाद वर्मा, चैतराम, कन्हैयालाल, घनश्याम द्विवेदी, नरेंद्र पयासी, सिपाही लाल, अमरनाथ, राजधर द्विवेदी, शशी शुक्ला, नरेंद्र अग्रवाल, उमाशंकर गुप्ता, पुष्पराज, चंदन कोटार्य आदि शामिल हुए।
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