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    किसानों सहमति के बाद 800 मेगावाट सोलर पार्क की जमीन तैयार, अंतिम दौर में पहुंचा भूमि अधिग्रहण का काम 

    Updated: Tue, 14 Oct 2025 07:25 PM (IST)

    किसानों की सहमति के बाद, 800 मेगावाट के सोलर पार्क के लिए भूमि तैयार है। भूमि अधिग्रहण का काम अंतिम चरण में है। इस परियोजना से क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। यह नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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    जागरण संवाददाता, चित्रकूट। मऊ तहसील में प्रस्तावित 800 मेगावाट अल्ट्रा मेगा सोलर पावर पार्क के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम दौर में पहुंच गई है। भारत सरकार और प्रदेश सरकार के संयुक्त उपक्रम टुस्को लिमिटेड द्वारा क्रियान्वित इस परियोजना के लिए 3600 एकड़ भूमि चिह्नित की गई थी।

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    इसमें से 3292 एकड़ भूमि का अनुबंध पूरा हो चुका है। जबकि शेष 308 एकड़ भूमि पर विवाद था। अब किसानों से इस भूमि के उपयोग पर सहमति मिल गई है। परियोजना के पूरा होने के बाद क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी और स्थानीय रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।


    परियोजना के तहत मऊ तहसील के 15 गांवों की भूमि शामिल है। चिह्नित भूमि में 2350 एकड़ निजी और 1250 एकड़ सरकारी जमीन है। जमीन के अनुबंध में तेजी आने के बाद अब सोलर प्लांट निर्माण कार्य को गति मिलने की संभावना है। जिसमें सरकारी सहित 3292 एकड़ जमीन का अनुबंध कंपनी के साथ हो चुका है, लेकिन 59 किसानों की करीब 308 एकड़ जमीन में आपसी विवाद था। उसके कारण अभी तक अनुबंध नहीं हो पाया था।

    एसडीएम कोर्ट में मुकदमा भी लंबित 

    अधिकतर का एसडीएम कोर्ट में मुकदमा भी लंबित है। उपजिलाधिकारी मऊ राम ऋषि रमन ने सोमवार को ग्राम पंचायत मनका में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की, जिसमें शेष भूमि अनुबंध की प्रगति पर चर्चा की गई। विशेष रूप से ग्राम गाहुर की कुछ विवादित भूमि के मामले में 59 किसानों में से 57 किसानों ने सहमति दे दी है। शेष दो किसान फिलहाल गांव से बाहर हैं। एसडीएम ने बताया कि किसानों के आपसी बंटवारे और सीमांकन जैसे मुद्दों को सुलझाने के बाद अधिकांश भूमि पर सहमति बन चुकी है।

    बैठक में टुस्को लिमिटेड के उप महाप्रबंधक, सहायक प्रबंधक, अभियंता, तथा तहसील प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे। इस परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री ने वाराणसी से किया था, लेकिन भूमि संबंधी अड़चनों के कारण कार्य की प्रगति अच्छी नहीं थी। हालांकि बिना विवादित भूमि में समतलीकरण व बाउंड्री का काम चल रहा है। अब अधिकांश भूमि अनुबंधित होने के बाद परियोजना को धरातल पर उतारने की तैयारी तेज हो गई है।