दिवारी नृत्य से मेला में लगा चार चांद
चित्रकूट, जागरण संवाददाता : पांच दिवसीय दीपदान मेला में बुंदेलखंड के प्रसिद्ध लोकनृत्य दिवारी की धूम
चित्रकूट, जागरण संवाददाता : पांच दिवसीय दीपदान मेला में बुंदेलखंड के प्रसिद्ध लोकनृत्य दिवारी की धूम रही। धर्मनगरी में जिधर-देखो-उधर मौनियों की टोली रंग बिरंगे परिधान में हैरतअंगेज करतब दिखाते नजर आ रही थी। ग्रामश्री मेला में तो इसकी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। जिसमें विभिन्न जनपदों की टीमों ने भाग लिया।
धर्मनगरी में लगने वाले दीपदान मेला में पांच दिन विभिन्न रंग देखे जाते है उसमें से एक दीपावली के दूसरे दिन परीवा को दिवारी नृत्य का भी है इसमें पूरा मेला क्षेत्र मयूरी नजर आता है। मौनियों की टोली मोर पंख और लाठी के साथ नृत्य करती देखी जा सकती है। बुंदेलखंड के विभिन्न जनपद से आने वाले सैकड़ो मौनियों की टोली से पूरा मेला क्षेत्र गुलजार रहा। मंगलवार को ग्रामश्री मेला में दिवारी नृत्य प्रतियोगिता का आयोदन हुआ। जिसमें विभिन्न जनपद की आई टीमों ने हैरत अंगेज करतब दिखाएं। बबेरु बांदा से आए लोक कलाकार रमेश यादव ने बताया कि दिवारी (मौनिया) नृत्य बुंदेलखण्ड में अहीर जाति द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में पुरुष अपनी पारंपरिक लिवास पहनकर मोर के पंखों व लाठी को लेकर एक घेरा बनाकर करते हैं। यह बुंदेलखंड का सबसे प्राचीन लोकनृत्य है। जो गांव-गांव में किशोर घेरा बनाकर मोर के पंखों व लाठियों के साथ मनमोहक अंदाज में करते है। मऊरानीपुर के कल्लू प्रसाद ने बताया कि प्राचीन मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण यमुना नदी के किनारे बैठे हुए थे, तब उनकी सारी गायें कहीं चली गयीं। प्राणों से भी अधिक प्रिय अपनी गायों को प्यार करने वाले भगवान श्रीकृष्ण दुखी होकर मौन हो गए। जिसके बाद भगवान कृष्ण के सभी ग्वाल दोस्त परेशान होगे। जब ग्वालों ने सभी गायों को तलाश लिया और उन्हें लेकर लाये, तब कहीं जाकर कृष्ण ने अपना मौन तोड़ा। तभी से यह परंपरा बुंदेलखंड के गांव-गांव में मनाई जाती है।
दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने बताया बुंदेलखंड की लोक कलाओं को बचाने के लिए राष्ट्रऋषि नानाजी ने ग्रामश्री मेला शुरु किया था। जिसमें आज भी दिवाली नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें बादा, टीकमगढ़, छतरपुर, चित्रकूट तथा सतना जिले के कई समूहों ने दिवारी नृत्य का प्रदर्शन किया। रमेश यादव समूह परसौली बबेरू (बांदा) को प्रथम पुरस्कार, शिवबली यादव समूह भदाव (बादा) को द्वितीय पुरस्कार एवं संतोष यादव समूह सिंहपुर अतर्रा (बांदा) को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। झासी के समूह को सात्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।
विजेता टीमों को पुरस्कार बांटते हुए सतना कलेक्टर नरेश पाल ने कहा कि इस मेले में शत प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों से हैं गाव से जुडे स्वयं सहायता समूहों के विकास के लिये ग्रामश्री मेला एक सकारात्मक प्रयास है। गाव से जुड़ी प्रत्येक प्रतिभा के विकास के लिये प्लेटफ ार्म प्रदान करने के लिये मेले का आयोजन लाभकारी सिद्ध हो रहा है। सतना पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला ने कहा कि दीनदयाल शोध संस्थान के द्वारा आयोजित ग्रामश्री मेले में सबसे विशेष बात यह रही कि सभी उत्पादों का प्रदर्शन स्वयं सहायता समूहों द्वारा किया गया। इस मौके पर डा. विजय सिंह, मनोज कुमार सैनी, राजेश कुमार, प्रभाकर मिश्रा, अनिल सिंह, अखिलेश शर्मा आदि मौजूद रहें।
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