टीनिया संक्रमित बीमारी, त्वरित उपचार जरूरी
टीनिया संक्रमित बीमारी त्वरित उपचार जरूरी।
जासं, चकिया (चंदौली) : मौसम के बदले रुख के चलते टीनिया (दाद, खुजली) संक्रमण का प्रभाव बढ़ जाता है। आमतौर पर छूने से फैलने वाली इस बीमारी को हल्के में न लें, नहीं तो गंभीर रूप धारण कर सकती है। जच्चा-बच्चा को इससे बचाना बेहद जरूरी है। क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता इनमें कम रहती है। यह जानकारी शनिवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की वरिष्ठ चिकित्सक डा. कांती त्रिपाठी ने दी।
कहा टीनिया का निदान सरल है। लाल चकत्ता, खुजली, दाद के लक्षण दिखाई देने पर एहतियात बरतें। सरकारी चिकित्सालय के चिकित्सक को दिखाएं ताकि समय रहते बेहतर उपचार किया जा सके और बीमारी को फैलने से रोका भी जा सकता है। गर्भवती महिलाएं नियमित खुद की और आस पास सफाई रखें। असावधानी तकलीफ को और बढ़ा सकती है। बताया एंटी फंगल क्रीम, क्लोट्रिमाजोल, कीटोकोनाजोल का इस्तेमाल परामर्श के अनुसार त्वचा पर करें। इसके साथ खाने की दवा इट्राकोनेजोल, टर्रिबनाफाइन व फ्लुकोनाजोल तीन माह के लिए दी जाती है। परीक्षण में टीनिया पॉजीटिव पाया जाता है तो लहसुन वाले व्यंजन के साथ तिल, बादाम, पालक, मसूर की दाल, अखरोट, सूरजमुखी के तेल उपयोग लाभकारी है। बीमारी को इससे शीघ्र नियंत्रित किया जा सकता है। बीमारी का कारण
रोगग्रस्त व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में फैलना, दाद से ग्रसित पशुओं से, संक्रमित वस्तुएं जैसे कंघी, ब्रश, कपड़े, बिस्तर आदि से फैलता है। ऐसे करें बचाव
पशुओं को आसपास करने के बाद हाथ साबुन से अवश्य धोएं, प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है तो संक्रमित पशुओं व लोगों से दूर रहें, नियमित रूप से बालों को खासकर महिलाएं जरूर धोएं। सार्वजनिक क्षेत्रों में जूते पहनकर जाएं। बीमारी के लक्षण
- लाल चकत्ता।
- त्वचा में खुजली व जलन।
- त्वचा में परतदार उभरा हुआ दाग।
- दाद का फैलना व फफोला पड़ जाना।
- दाद का बाहरी तरफ से किनारों का लाल हो जाना।
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