वाटर होल के पानी से वन्य जीवों का तर हो रहा गला
चंदौली तपती गर्मी में पारा 42 डिग्री के पार पहुंचने से मनुष्यों के साथ वन्य जीवों का भी हाल बे ...और पढ़ें

चंदौली : तपती गर्मी में पारा 42 डिग्री के पार पहुंचने से मनुष्यों के साथ वन्य जीवों का भी हाल बेहाल हो गया है। हालांकि मीलों फैले चंद्रप्रभा अभयारण्य में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग की ओर से वाटर होल में टैंकर से पानी डाला जा रहा, ताकि वन्य जीव अपनी प्यास बुझा सकें। वैसे बीते मानसून सीजन में औसत वर्षा के कारण अभी प्राकृतिक जल श्रोतों में पानी की उपलब्धता बनी हुई है, लेकिन आने वाले दिनों में प्रचंड गर्मी का यही हाल रहा तो वन्यजीव भी प्यास से व्याकुल हो जाएंगे। वन विभाग की ओर से वन्य जीवों को प्यास बुझाने के लिए वन क्षेत्र में प्राकृतिक जल श्रोत के समीप चेकडेम की स्थापना कराई जाती है। डकही, गोठौली, आमचुआं, जमसोती, कबुतरवा, सिगारे, मुबारकपुर, मूसाखांड़ आदि बीट के वन क्षेत्र में कई स्थानों पर चेकडेम का निर्माण कराया गया है, लेकिन गर्मी आगाज होते ही इन चेकडेमों में पानी की स्थिति नगण्य हो जाती है। वर्तमान में कुछेक को छोड़ दें तो अधिकांश चेकडेम में पानी की स्थिति शून्य हो गई है। ऐसे में वन विभाग की ओर से पहाड़ों में स्थित वाटर होल में टैंकर से पानी भरा जा रहा है, ताकि प्यास से व्याकुल वन्य जीवों का गला तर हो सके।
चंद्रप्रभा अभयारण्य में
वन्य जीवों की संख्या
चंद्रप्रभा वन्य जीव अभयारण्य 96 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस सेंचुरी की स्थापना 1957 में की गई थी। वर्ष 2016 में वन विभाग की ओर से कराई गई वन्य जीवों की गणना में गुलदार (तेंदुआ) 3, चिकारा 123, घड़रोज 174, सांभर 101, भालू 104, सुअर 266, बंदर 445, लंगूर 335, मगरमच्छ 3, भेड़िया 3, लकड़बग्घा 55, लोमड़ी 102, सियार 175, मोर 150 व शाही की संख्या 68 है। च्रद्रप्रभा बांध बना सहारा
वन्य जीवों के लिए चंद्रप्रभा, भैसौड़ा, नौगढ़ बांध सहारा बने हुए हैं। पूर्व के वर्षों में इन बांधों में अप्रैल के अंतिम पखवारे तक पानी की स्थिति शून्य हो जाती थी, लेकिन बीते मानसून सीजन में पर्याप्त वर्षा के कारण अभी पानी की उपलब्धता बनी हुई है, लेकिन आने वाले दिनों समय से बारिश नहीं हुई तो पानी मिलना मुश्किल हो जाएगा।
वर्जन
चंद्रप्रभा अभयारण्य में वन्य जीवों की प्यास बुझाने के लिए वाटर होल में टैंकर से पानी भरवाया जा रहा है। कई चेकडेम में भी अभी पानी है। आने वाले दिनों में और चेकडेम की स्थापना कराई जाएगी।
दिनेश सिंह, प्रभागीय वनाधिकारी रामनगर।

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