कमजोर फेफड़ों पर धुएं का होगा घातक असर
जागरण संवाददाता चंदौली दिवाली के पटाखों से निकलने वाला धुआं कमजोर फेफड़ों के लिए घात
जागरण संवाददाता, चंदौली : दिवाली के पटाखों से निकलने वाला धुआं कमजोर फेफड़ों के लिए घातक साबित होगा। सर्दियों में ड्रापलेट के अधिक समय तक हवा में मौजूद रहने और पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से सांस के रोगियों की दुश्वारियां बढ़ जाएंगी। वहीं कोरोना मरीजों की संख्या भी बढ़ेगी। ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत है। पर्यावरणविदों ने लोगों से दिवाली पर पटाखे न फोड़ने की अपील की है।
आमतौर पर दिवाली से पहले तक पर्यावरण प्रदूषण की मात्रा कम रहती है। लेकिन दिवाली पर आतिशबाजी से निकलने वाला जहरीला धुआं प्रदूषण में तेजी से इजाफा करता है। इससे 100 के आसपास रहने वाला एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 200 को पार कर जाता है। इसके साथ ही सांस के रोगियों व कमजोर फेफड़े वालों लोगों की दुश्वारियां बढ़ने लगती हैं। सर्दी के मौसम में करीब चार माह तक गंभीर रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसमें काफी कुछ हवा पर भी निर्भर करता है। दिवाली के दौरान यदि तेज हवा चली तो पटाखों का धुआं उड़कर निकल जाता है। लेकिन मौसम यदि सामान्य रहा तो जहरीला धुएं की मौजूदगी बनी रहती है और प्रदूषण की मात्रा दिनों दिन बढ़ती ही जाती है। खासतौर से पीएम (पर मीटर) 2.5 व 10 साइज (मीटर के एक करोड़वें भाग जितने बारीक) धूल के कण हवा में घूमते रहते हैं और सांस लेने के दौरान व्यक्ति के फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। कोरोना मरीजों के लिए यह स्थिति घातक साबित होने वाली है। इससे कोरोना से मौत के आंकड़े बढ़ सकते हैं। ऐसे में सभी की जिम्मेदारी है कि अपनी खुशियों के लिए दूसरों के जीवन को दाव पर न लगाएं।
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पटाखे जले तो बढ़ेगा प्रदूषण
काशी हिदू विश्वविद्यालय के मौसम व पर्यावरणविद प्रोफेसर मनोज श्रीवास्तव ने कहा, दिवाली पर पटाखे जले को एक्यूआर 200 के पार पहुंच जाएगा। हर साल कमोवेश यही स्थिति रहती है। दिवाली के बाद प्रदूषण तेजी से बढ़ता है। ऐसे में लोगों को सचेत होने की जरूरत है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए इस बार ग्रीन दिवाली मनाएं।
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गंभीर रोगी बरतें सावधानी
जिला अस्पताल से वरिष्ठ चिकित्सक डा. संजय कुमार ने पर्यावरण प्रदूषण को लेकर गंभीर रोगियों को सचेत किया है। उन्होंने कहा, सांस व हृदय के गंभीर रोगी बाहर निकलने पर मास्क का इस्तेमाल जरूर करें। ताकि धूल के कण किसी भी हाल में शरीर के अंदर न प्रवेश करने पाएं। वहीं किसी तरह की तकलीफ होने पर तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें। जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है।
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