पालीटेक्निक कालेज में शिक्षकों की कमी, अंधकार में छात्रों भविष्य
जागरण संवाददाता चंदौली अतिपिछड़े जिले में तकनीकी शिक्षा में शिक्षकों की कमी बाधा बनी हु

जागरण संवाददाता, चंदौली : अतिपिछड़े जिले में तकनीकी शिक्षा में शिक्षकों की कमी बाधा बनी हुई है। मुख्यालय स्थित पालीटेक्निक कालेज में विभिन्न ट्रेड में अध्यापकों के 20 पद रिक्त हैं। इससे छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में है। कालेज प्रशासन निजी शिक्षकों की नियुक्ति कर किसी तरह पाठ्यक्रम को पूरा कराता है। शासन की गाइडलाइन में बदलाव के बाद रिक्त पदों पर भर्तियां होने की उम्मीद है। पंडित कमलापति त्रिपाठी ने शिक्षा मंत्री रहते हुए वर्ष 1954 में जिले में पालीटेक्निक कालेज का निर्माण कराया था। इसके पीछे मंशा थी कि अतिपिछड़े इलाके में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। यहां सिविल इंजीनियरिग, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रानिक्स, मैकेनिकल, कंप्यूटर साइंस व एग्रीकल्चर समेत छह ट्रेड में पढ़ाई होती है। इसका लाभ स्थानीय के साथ ही आसपास के जनपदों के छात्र-छात्राओं को भी मिल रहा है। चालू सत्र में 1320 छात्र पंजीकृत हैं। लेकिन शासन की उदासीनता के चलते कालेज में संसाधनों का अभाव बढ़ता जा रहा है। पिछले कई वर्षों से विभिन्न ट्रेड में शिक्षकों के करीब 20 पद रिक्त हैं। इससे पाठ्यक्रम को पूरा कराने में तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कालेज प्रशासन की ओर से निजी शिक्षकों के सहारे पाठ्यक्रम को पूरा कराया जा रहा है। घंटे के हिसाब से शिक्षकों को भुगतान किया जाता है। शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर कालेज के प्रशासक मंडलायुक्त वाराणसी मंडल व प्रधानाचार्य की ओर से कई बार शासन को पत्र भेजा जा चुका है। लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई। इससे समस्या बरकरार है। कालेज के शिक्षकों ने बताया कि शासन स्तर से गाइडलाइन में बदलाव की बात कही जा रही है। इसके बाद रिक्त पदों को भरने की उम्मीद है। --------------------- अंतिम चरण में काउंसिलिग नए छात्रों के प्रवेश के लिए काउंसिलिग की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। यहां विभिन्न ट्रेड में करीब 300 छात्रों को दाखिला मिलेगा। पिछले 25 दिनों से कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। हालांकि कोरोना को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। ----------- 'कालेज में 1320 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। यहां विभिन्न ट्रेड में 20 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। निजी शिक्षकों को नियुक्त कर पाठ्यक्रम पूरा कराया जाता है। शासन स्तर से गाइडलाइन में बदलाव के बाद शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति होने की उम्मीद है।
एमपी सिंह, प्रधानाचार्य।

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