Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राजदरी, देवदरी जलप्रपात, प्राकृतिक सौंदर्य नहीं निहार सकेंगे सैलानी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 30 Jul 2020 04:59 PM (IST)

    प्रकृति के सौंदर्य पर कोरोना काल का ग्रहण लग गया है।मतलब पूर्वांचल का स्वर्ग कहे जाने वाले राजदरी- देवदरी जलप्रपात सैलानियों पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। इससे पर्यटकों सैलानियों के लिए सुहाने मौसम का सुहाना सफर बोझिल हो जा रहा है।प्रतिदिन सैकड़ों वाहन से पहुंचने वाले हजारों सैलानी मायूस होकर लौट जा रहे हैं।

    राजदरी, देवदरी जलप्रपात, प्राकृतिक सौंदर्य नहीं निहार सकेंगे सैलानी

    जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली) : प्रकृति के सौंदर्य पर कोरोना ने ग्रहण लगा दिया है। पूर्वांचल का स्वर्ग कहे जाने वाले राजदरी- देवदरी जलप्रपात को सैलानियों, पर्यटकों के लिए वन विभाग ने बंद कर दिया है। इससे पर्यटकों, सैलानियों के लिए सुहाने मौसम के सुहाने सफर पर ब्रेक लग गया है। प्रतिदिन सैकड़ों वाहनों से पहुंचने वाले हजारों सैलानी मायूस होकर लौट जा रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वन विभाग की रोक से इस समय सन्नाटा पसरा है। झरने की कल कल नाद व पक्षियों की सुमधुर ध्वनि सुनने को सैलानी बेताब हो जा रहे हैं। यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता को बिखेरता चंद्रप्रभा बांध से सटे राजदरी-देवदरी जल प्रपात पर जनपद समेत पूर्वांचल के वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, मऊ, बलिया व समीपवर्ती बिहार प्रांत के पर्यटक बारिश शुरू होते ही यहां भारी संख्या में पहुंचते हैं। चहुंओर हरियाली के बीच जलप्रपात की नैसर्गिक सुंदरता का नयनाभिराम सैलानी करते हैं। पक्षियों की चहचहाहट, वन्य जीवों के विचरण के बीच सैलानियों की आमदरफ्त होने से जंगल का सन्नाटा टूट जाता है। चट्टानों से टकराता पानी सौंदर्य व शीतलता का दर्शन कराने वाले ²श्य को सैलानी घंटों निहारते रहते हैं। चंद्रप्रभा का जल पूरे वेग से सैकड़ों फीट नीचे खाई में गिरता है तो उसका आकर्षक ²श्य देख रोम-रोम पुलकित हो उठता है। रूई के गोले की भांति प्रतीत होने वाली पानी की फुहारें मानव शरीर पर पड़ता है तो बस यहीं का होकर रह जाने की इच्छा मन में हिलोरे मारने लगती है। पर इस वर्ष सैलानियों के लिए यह सब दिवास्वप्न सरीखा हो गया है। वैश्विक महामारी के चलते सैलानियों, पर्यटकों के प्रवेश प्रतिबंध 18 जून को हटा दिया गया। पर वन विभाग के उच्चाधिकारियों के आगमन पर प्रभागीय वनाधिकारी ने पुन: प्रतिबंध लगा देने का निर्देश जारी कर दिया। इससे जलप्रपात पर कैंटीन, वाहन स्टैंड के कर्मचारी भी परेशान हैं। वहीं प्रवेश द्वार पर वन विभाग द्वारा वाहन व सैलानियों से वसूले जाने वाले शुल्क के रूप में राजस्व का लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। वन क्षेत्राधिकारी बृजेंद्र पांडे कहते हैं कि वैश्विक महामारी के चलते सैलानियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। अगले आदेश तक प्रतिबंध जारी रहेगा।