ट्रेनों की गति बढ़ाने की तैयारी में रेलवे
हाई स्पीड ट्रेनों के संचालन के लिए रेल प्रशासन ने कमर कस ली है। इसके लिए रेलवे पटरियों का वजन बढ़ाने के साथ ही स्लीपर के बदलाव की कवायद शुरू कर दी गई है।
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : हाई स्पीड ट्रेनों के संचालन के लिए रेल प्रशासन ने कमर कस ली है। इसके लिए रेलवे पटरियों का वजन बढ़ाने के साथ ही स्लीपर के बदलाव की कवायद शुरू कर दी गई है। रेलवे मेन लाइन से उखाड़ी गई पटरियों को बड़े जंक्शन के यार्ड में शिफ्ट में कर रहा है। अधिकारियों की माने तो मुगलसराय, गया व धनबाद रूट पर पटरियों व स्लीपर को बदला जा चुका है। जबकि रेनूकोट रुट पर अभी तक 90 फीसद काम हुआ है। 13 मीटर लंबी होती है रेल पटरी रेलवे को 13 मीटर की रेल लाइन मिलती है। 60 किलो वाली इस रेल लाइन का वजन 780 किलो होगा। जबकि पहले 52 किलो की वाली पटरियों का वजन 676 किलो हुआ करता था। वजन वाली पटरी लगाने के बाद रेलवे 52 किलो वाली पटरियों को यार्ड में शिफ्ट कर रहा है। यार्ड में गाड़ियों की स्पीड कम हाती है, इस लिए 52 किलो वाली पटरियां यार्ड में लंबे समय तक चल जाती हैं। इसके बाद जो पटरियां यार्ड में भी चलने लायक नहीं होती हैं, उसे रेल प्रशासन कबाड़ घोषित कर नीलामी करा देता है। पटरी से डिब्बों के उतरने की आशंका रहेगी कम
पटरियों का वजन बढ़ने से इनमें कंपन कम होगा। इससे डिब्बों के पटरी से उतरने की आशंका भी कम हो जाएगी। पटरियां वजनी होने से एक-दूसरे से ¨लक भी मजबूती से होगी। इस व्यवस्था से आए दिन पटरियों से ट्रेनों के उतरने की घटनाएं भी कम होंगे। साथ ही रेल यात्रियों की यात्रा भी सुरक्षित होगी। एक किलोमीटर में 120 स्लीपर अधिक लगेंगे
रेल जानकारों की माने तो 60 किलो वजन की पटरी लगाने से अब पटरियों के बीच लगाए जाने वाले स्लीपर की संख्या में भी वृद्धि होगी। हर एक किलोमीटर पर 1660 कंक्रीट स्लीपर बिछाई जा रही है। पहले ट्रैक पर एक किलोमीटर में 1540 कंक्रीट स्लीपर बिछाई जाती थी। यानी पहले की अपेक्षा अब 120 स्लीपर अधिक बिछ रही है। नई स्लीपर 457 किलो की हैं। इससे एक्सप्रेस ट्रेनों को अधिकतम 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक चलाया जा सकेगा।