मझवार-गंजख्वाजा में रेल फ्रैक्चर पर त्वरित कार्रवाई, फील्ड स्टाफ की सजगता से संरक्षित रहा परिचालन
मझवार-गंजख्वाजा रेलखंड पर रेल फ्रैक्चर की सूचना पर त्वरित कार्रवाई की गई। फील्ड स्टाफ की सतर्कता से परिचालन सुरक्षित रहा और तत्काल मरम्मत कार्य शुरू किया गया। किसी भी दुर्घटना से बचाव हुआ, जिससे रेल यातायात सामान्य रहा।

शनिवार सुबह 8:57 बजे कीमैन श्रवण कुमार ने नियमित निरीक्षण के दौरान फ्रैक्चर को पहचाना।
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली)। रेल संरक्षा की दृष्टि से ट्रैक किनारे कार्यरत फील्ड स्टाफ की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उनकी मझवार-गंजख्वाजा में रेल फ्रैक्चर पर त्वरित कार्रवाई, फील्ड स्टाफ की सजगता से संरक्षित रहा परिचालन
शनिवार को डीडीयू मंडल के मझवार और गंजख्वाजा स्टेशनों के बीच समपार फाटक संख्या 78 से कुछ मीटर दूर अप लाइन पर एक रेल फ्रैक्चर की समय पर पहचान और समन्वित कार्रवाई ने परिचालन को संरक्षित बनाए रखा। सुबह 8:57 बजे कीमैन श्रवण कुमार ने नियमित निरीक्षण के दौरान फ्रैक्चर को पहचाना।
उन्होंने तुरंत स्टेशन मास्टर संतोष कुमार को सूचना दी और फाटक की तरफ दौड़े। फिर स्टेशन मास्टर ने सतर्कता दिखाते हुए समपार फाटक पर गेटमैन दिनेश कुमार को सूचित किया। गेटमैन ने संरक्षा के लिए तत्काल गेट सिग्नल बंद कर दिया, जिससे आ रही ट्रेन संख्या 22307 (हावड़ा–बीकानेर एक्सप्रेस) को संरक्षित रूप से रोका जा सका।
स्टेशन मास्टर संतोष कुमार तथा स्टेशन मास्टर विनय कुमार ने तत्काल कंट्रोल ऑफिस को भी सूचित किया और टीपीसी कंट्रोल द्वारा ओवरहेड उपकरण बंद किया गया। इस तरह उस दौरान संबंधित उप रेलखंड में परिचालन नियंत्रित कर पूर्ण संरक्षा सुनिश्चित की गई। वरिष्ठ अनुभाग अभियंता की टीम ने मौके पर पहुंचकर आवश्यक मरम्मत की और 09:30 बजे ट्रैक को 30 किमी/घंटा की गति सीमा के साथ संरक्षित रूप से फिट घोषित किया।
इस पूरे घटनाक्रम में कीमैन श्रवण कुमार, गेटमैन दिनेश कुमार और स्टेशन मास्टर संतोष कुमार की त्वरित, समन्वित और संरक्षा-केंद्रित कार्रवाई ने परिचालन को बिना किसी बाधा के संरक्षित बनाए रखा। मंडल रेल प्रबंधक उदय सिंह मीना ने अपर मंडल रेल प्रबंधक दिलीप कुमार एवं अन्य अधिकारियों के साथ स्थल पर जाकर स्थिति का जायजा लिया।
साथ ही उत्कृष्ट संरक्षा कार्य हेतु कीमैन श्रवण कुमार , स्टेशन मास्टर संतोष कुमार, स्टेशन मास्टर विनय कुमार और गेटमैन दिनेश कुमार को शाबाशी देते हुए उन्हें पुरस्कृत किया। यह घटना डीडीयू मंडल की संरक्षा संस्कृति का जीवंत उदाहरण है, जहाँ प्रत्येक कर्मचारी संरक्षित संचालन को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। मंडल प्रशासन ऐसे कर्मठ और सजग कर्मचारियों की सराहना करता है, जिनके प्रयासों से संरक्षा सुनिश्चित होती है।
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