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    मुगलसराय नाम बन गया इतिहास

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 06 Jul 2018 09:28 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, मुगलसराय (चंदौली) : जंक्शन का मुगलसराय नाम अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो ग

    मुगलसराय नाम बन गया इतिहास

    जागरण संवाददाता, मुगलसराय (चंदौली) : जंक्शन का मुगलसराय नाम अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। गुरुवार से जंक्शन पर जगह जगह डिसप्ले बोर्ड से मुगलसराय का नाम मिटा दिया गया। रेल प्रशासन ने एक साथ सभी स्थानों पर जंक्शन का नाम पं. दीनदयाल उपाध्याय जं: लिखने की तैयारी पूरी कर ली है। इस बदलाव की चर्चा रेल यात्रियों के साथ पूरे नगर में रही।

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    दिल्ली-हावड़ा रेल रूट के सर्वाधिक व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में शुमार मुगलसराय जंक्शन अब पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर के नाम से जाना जाएगा। इस स्टेशन से रोजाना लाखों की तादाद में यात्री सफर करते हैं। अभी तक मुगलसराय नाम लोगों के दिल व दिमाग में रचा बसा था। आधिकारिक तौर पर राज्य सरकार ने पिछले महीने ही नाम बदलने की अधिसूचना जारी कर दी थी। रेल मंत्रालय की हरी झंडी के बाद अब बदलाव की प्रक्रिया शुरू हुई है। आंतरिक व बाह्य दोनों स्तर पर रेल अधिकारी अपने को तैयार रखे हैं। मंत्रालय से आदेश मिल चुका है। अधिकारियों के निर्देश पर सभी बोर्डों पर बदला हुआ नाम दिखाई पड़ेगा। बदले हुए नाम का माडल ¨हदी, अंग्रेजी व उर्दू में पहले ही तैयार कर लिया गया है। पीआरओ पृथ्वीराज ने बताया मुगलसराय का नाम बदलने को लेकर रेल मंत्रालय से अप्रूवल मिल गया है। बहुत जल्द ही तिथि तय करके नाम बदल दिया जाएगा।

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    1862 में अस्तित्व में आया मुगलसराय जंक्शन नाम

    मुगलसराय जंक्शन महत्वपूर्ण रेल मार्गों का संगम है। इस कारण भारत के व्यस्ततम स्टेशनों में शुमार है। यह उत्तर भारत को पूर्वी व पूर्वोत्तर भारत से जोड़ता है। यही से ग्रैंड ट्रंक रोड वर्तमान राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 जिसे शेरशाह सूरी ने सड़क-ए-आजम कहा था, इस शहर के बीच से गुजरती है। इसी तरह मुगलसराय से हावड़ा की तरफ जाने वाली रेलवे लाइन को भी ग्रैंड कार्ड लाइन बोला जाता है। मुगलसराय स्टेशन का निर्माण 1862 में उस समय हुआ था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी हावड़ा व दिल्ली को रेल मार्ग से जोड़ रही थी। मुगलसराय-गया रेल खंड वर्ष 1900 में, मुगलसराय-इलाहाबाद रेल खंड वर्ष 1864 में व मुगलसराय-वाराणसी रायबरेली रेलखंड वर्ष 1898 में अस्तित्व में आया। हालांकि मुगलसराय जंक्शन वाराणसी से 1883 में ही जुड़ गया था। प्रसिद्ध ग्रैंडकार्ड मुगलसराय स्टेशन से प्रारंभ होता है। मुगलसराय का मार्श¨लग यार्ड एशिया का सबसे बड़ा यार्ड है। कोयला खनिज की ढुलाई के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। यहां पर बाक्स एंड वैगनों के रखरखाव का सबसे बड़ा डिपो है। साथ ही डीजल व इलेक्ट्रिक इंजनों की मरम्मत के लिए शेड स्थापित है। मुगलसराय रेल मंडल कार्यालय की स्थापना 1978 को हुआ था। गूगल में भी जंक्शन का नाम पं. दीनदयाल उपाध्याय

    मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलने के क्रम में गूगल के विकिपीडिया ने भी नाम बदल दिया है। अब मुगलसराय जंक्शन टाइप करने पर पं. दीनदयाल उपाध्याय जं: खुल रहा है। इस बदलाव की भी खूब चर्चा हो रही है। लोग गूगल पर जंक्शन का नाम टाइप कर इसे देख रहे हैं। सेल्फी लेकर अलविदा मुगलसराय कहते लोग

    मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलने पर लोग पुराने लिखे मुगलसराय जंक्शन के समक्ष खड़े होकर सेल्फी लेते दिखाई दिए। हर कोई मुगलसराय जंक्शन को अपने मोबाइल के कैमरे में कैद कर लेना चाह रहा था। कई लोगों तक सेल्फी को सोशल मीडिया पर वायरल करके अलविदा मुगलसराय या बाय-बाय मुगलसराय लिखकर पोस्ट कर रहे थे। पीएम, सीएम या रेल मंत्री करेंगे अनावरण

    पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर जंक्शन लिखने के बाद इसके अनावरण में पीएम, सीएम व रेल मंत्री आ सकते हैं। हालांकि इस बात की अभी कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं है लेकिन रेलवे जिस तरह से अपनी तैयारी कर रहा है, उससे यह तो तय है कि कोई बड़ा चेहरा अनावरण के लिए आएगा। रेलवे द्वारा विभिन्न प्लेटफार्मों, सर्कुले¨टग एरिया व अन्य स्थानों के बचे हुए कार्य को युद्धस्तर पर कराया जाना शुरू कर दिया गया है। रेलवे सूत्रों के अनुसार इंडियन इंस्टीच्यूट ग्राउंड को विशेष रूप से तैयार किए जाने की संभावना है। उम्मीद की जा रही है कि नए नाम के अनावरण के लिए जो भी शख्सियत यहां आएगी, वे पं. दीनदयाल उपाध्याय निर्वाण स्थल पर भी जा सकते हैं। रेलवे उस स्थल को भी दुरुस्त कराएगा।