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    यूपी में अब चाय-पान की भी दुकान चलाने के लिए लेना होगा लाइसेंस, इस जिले में डीएम ने जारी किया आदेश

    चंदौली में अब ग्रामीण क्षेत्रों में चाय की दुकान होटल और किराना स्टोर समेत 141 प्रकार के व्यवसायों के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया है। जिला पंचायत को लाइसेंस जारी करने और दुकानों की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई है। बिना लाइसेंस के व्यवसाय करने पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई होगी। इस कदम से सरकार को व्यवसाय की सही जानकारी मिलेगी और राजस्व में वृद्धि होगी।

    By Uday Nath Shukla Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sun, 11 May 2025 09:04 PM (IST)
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    चाय-पान की भी दुकान चलाने को लेना होगा लाइसेंस

    जागरण संवाददाता, चंदौली। अब ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाली चायपान की दुकान से लेकर होटल, लाज व किराना से हार्डवेयर की दुकान चलाने के लिए लाइसेंस लेना होगा। बिना लाइसेंस के दुकान नहीं चला सकेंगे। यदि दुकान चलाते हुए पकड़े गए तो जुर्माना के साथ केस दर्ज होगा। शासन की ओर से ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाले 141 प्रकार के व्यावसायिक कार्य के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया है।

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    लाइसेंस जारी करने और दुकानों के जांच की जिम्मेदारी जिला पंचायत को दी गई है। इससे सरकार को व्यवसाय के बारे में सही जानकारी मिलेगी और राजस्व के रूप में बड़ी धनराशि का संग्रह होगा। शहर में चलने वाली दुकानों, होटल, माल और अन्य व्यावसायिक कार्य करने पर लाइसेंस लेना पड़ता था, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में चौराहा, कस्बा और गांव में चलने वाली किराना, चाय-पान की दुकान के लिए लाइसेंस जारी नहीं होता था।

    ग्रामीण क्षेत्र में चाय-पान की 15 हजार दुकानें

    ग्रामीण क्षेत्र में चाय-पान की ही लगभग 15 हजार से अधिक दुकानें चलती हैं। रोजगार का सही आंकलन और व्यवसाय की सही जानकारी के लिए अब इनके लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है। 141 प्रकार की व्यवसाय हैं, जो इसके दायरे में आएंगे। इसके लिए दुकान स्वामी को लाइसेंस लेना होगा।

    यह लाइसेंस एक साल के लिए होगा और नवीनीकरण होता रहेगा। यह कार्य जिला पंचायत के जिम्मे दिया गया है। वह लाइसेंस जारी करेंगे और दुकानों की जांच भी जिला पंचायत के अधीन होगा। जांच में अनियमितता या बिना लाइसेंस के मिलने पर कार्रवाई की जाएगी। कारोबार के हिसाब से लाइसेंस फीस निर्धारित किया गया है।

    ये दुकान आएंगी दायरे में

    राइस मिल, सेलर, स्टील, एल्यूमीनियम बर्तन ढलाई का कार्य, आइसक्रीम फैक्टरी, कपड़ा या किराना की बड़ी और इसी की छोटी दुकान। गल्ला, किराना की बड़ी और छोटी दुकान, जहां 10 क्विंटल से अधिक सामान की क्षमता हो।

    इसके साथ ही एक लाख से अधिक मालियत की सोने चांदी की बड़ी दुकान, एक लाख से कम मालियत की छोटी दुकान, मेडिकल स्टोर बड़ी और छोटी, होटल या मिठाई की छोटी और बड़ी दुकान, किताब की दुकान, जनरल स्टोर, लोहे की 10 से अधिक और 10 क्विंटल से कम सामान की दुकान चाय की सम्मलित दुकान, केवल चाय की दुकान, घी-दूध की बिक्री, बिना आरा मशीन के लकड़ी का कारोबार, फल की दुकान जिसकी मालियत से 10 हजार रुपये से अधिक और उससे कम है।

    सब्जी के थोक दुकानदार और फेरी वाले भी। पेट्रोल पंप, मोबिन की दुकान, हार्डवेयर, उवर्रक, सहित कुल 141 प्रकार के ग्रामीण क्षेत्र में चलने वाले व्यवसाय दायरे में आए हैं। लाइसेंस सर्वाधिक 10 हजार रुपये कोल्ड स्टोरेज पर है। इसके साथ ही सबसे कम शुल्क 500 रुपये निर्धारित हुआ है। प्रत्येक वर्ष दुकानदारों को शुल्क देकर लाइसेंस का नवीनीकरण करवाना होगा।

    मुख्य विकास अधिकारी, आर जगत सांई ने कहा

    ग्रामीण क्षेत्र की व्यावसायिक दुकानें जिला पंचायत के अधीन हो गई हैं। इनके संचालन के लिए लाइसेंस लेना होगा। लाइसेंस कार्यालय से जारी होगा।