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    होली का रंग प्राकृतिक रंगों के संग

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 21 Feb 2018 08:49 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, चंदौली : रंगों का त्योहार होली जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे लोगा ...और पढ़ें

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    होली का रंग प्राकृतिक रंगों के संग

    जागरण संवाददाता, चंदौली : रंगों का त्योहार होली जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे लोगों पर होलियाना रंग चढ़ने लगा है। घरों में होली की तैयारियां भी होने लगी हैं। ऐसे में प्राकृतिक रंग से होली खेली जाए तो सबके लिए ठीक है। किसी रासायनिक रंग की चपेट में आ गए तो खराब हुई त्वचा ठीक होने में समय तो लगेगा ही नए रोगों का जन्म भी शुरू हो जाएगा। चिकित्सकों की मानें तो आज का खानपान वैसे ही अनेक रोगों को जन्म दे रहा है, शरीर की क्षमता पहले जैसी नहीं है। रासायनिक रंग से एलर्जी, आंख की दिक्कत, श्वांस रोग, दमा, चेहरे पर कालापन हो जाता है। उसे ठीक होने में काफी समय लग जाता है। इसलिए प्राकृतिक रंगों से ही होली खेली जाए।

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    घर में बना सकते हैं प्राकृतिक रंग

    नीला रंग बनाना है तो नीले गुड़हल के फूल पीसकर इसे पानी में मिलाकर रंग बना लें। नीले गुलाल के लिए गुड़हल के फूल पीसकर पावडर बना लें। लाल रंग के लिए चुकंदर, अनार के छिलके, टमाटर, गाजर को पीसकर पानी में मिला लें। वहीं लाल रंग गुलाब की पंखुड़ियां, लाल चंदन पीसकर लाल गुलाल बना सकते हैं। नारंगी रंग के लिए टेसू या पलाश के फूल पीसकर उसे पानी में मिलाएं, वहीं गुलाल पलाश के फूल का पाउडर चंदन में मिला दें। पीले रंग के लिए हल्दी को पानी में मिलाएं या गेंदे के फूल को पीसकर पानी में मिलाएं। यह रंग रूप में निखार लाएगा और होली के रंग का आनंद भी देता है। पीले गुलाल के लिए हल्दी को उसके दुगुने मात्रा में बेसन के साथ मिला लें, बेसन न हो तो उसके स्थान पर हल्दी को मुल्तानी मिट्टी के साथ मिलाएं, दोनों त्वचा के लिए लाभकारी हैं। हरे रंग के लिए धनिया या पालक के पत्ते पीसकर पानी में मिलाएं, गुलाल के लिए मेंहदी का पावडर समान मात्रा में आटो में मिलाएं, यह बालों के लिए लाभदायक है। बैंगनी रंग के लिए चुकंदर को बारीक काट लें और रात भर पानी में भिगोएं। दूसरे दिन उसे उबालकर छान लें और इसका रस निकालें। इसमें जामुन को पीसकर भी बैंगनी रंग बनाया जा सकता है। काले रंग के लिए काले रंग के अंगूर के बीज निकालें, अच्छी तरह से पेस्ट बना लें। पानी का रंग बनाना है तो इन रंगों में पानी मिलाने से खूब होली खेली जा सकती है।

    रासायनिक रंगों के नुकसान

    आजकल प्रयोग होने वाले कैमिकल रंग त्वचा और स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैं। हरे रंग में कापर सल्फेट होता है जो आंखों को नुकसान पहुंचाता है। इससे अंधे भी हो सकते हैं। सिल्वर रंग में एल्यूमिनियम ब्रोमाइड होता है, यह कैंसर का कारक है। लाल रंग में मरकरी सल्फाइट त्वचा के लिए ज्यादा हानिकारक है। बैंगनी रंग में क्रोमियम आयोडाइड एलर्जी और दमा के रोगों के लिए हानिकारक है।

    क्या कहते हैं चिकित्सक

    जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशयन डा. दिनेश ¨सह व डा. संजय कुमार का कहना है कि दुकान से जब भी कोई रंग खरीदें प्राकृतिक रंग कहकर लें। क्योंकि प्राकृतिक रंगों जैसे दिखने वाले रंग स्वास्थ्य बिगाड़ देंगे, अंधा भी कर सकते हैं। सिनथेटिक रंगों से जिसकी त्वचा खराब हुई उसे ठीक होने में काफी समय लग सकता है। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि रंगों से खेलने से पहले वेसलिन लगा लें, यह रंगों के प्रभाव को कम कर देगी।

    क्या कहते हैं जिम्मेदार

    जिलाधिकारी हेमंत कुमार ने कहा रासायनिक रंगों की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है। कस्बों में विभागीय टीम लगाई गई हैं, रंगों के भी सेंपुल भरवाए जाएंगे। होली खेलने वाले लोगों से आह्वान किया वे दुकानों से प्राकृतिक रंग ही खरीदें। अपनी सेहत को वे स्वयं ठीक रखें।