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    भगवान परीक्षा से नहीं प्रतीक्षा से मिलते हैं

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 15 Dec 2021 05:24 PM (IST)

    बरहनी (चंदौली) विकास खंड के अरंगी गांव में चल रही श्रीराम कथा में बुधवार को शशिकांत महाराज ने कहा कि संत पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए।

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    भगवान परीक्षा से नहीं प्रतीक्षा से मिलते हैं

    जागरण संवाददाता, बरहनी (चंदौली) : विकास खंड के अरंगी गांव में चल रही श्रीराम कथा में बुधवार को शशिकांत महाराज ने कहा कि संत पर कभी संदेह नहीं करना चाहिए। भगवान शंकर ने कथा सुन लिया लेकिन मां सती ने संत पर संदेह किया। परिणाम यह हुआ कि भगवान शंकर को प्रभु का दर्शन हुआ लेकिन मां सती नहीं पहचान पाईं और भगवान की परीक्षा लेने चली गईं। कहा कि कथा को कोई बिना मन के तो कोई विभोर हो कर सुनता है।

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    बताया कि मानस में तीन देवियां हैं, जिन्होंने तीन तरीके से भगवान को पाना चाहा। एक ने परीक्षा, दूसरे ने समीक्षा और तीसरे ने प्रतीक्षा से पाना चाहा। परीक्षा से मां सती ने समझना चाहा भगवान समझ नहीं आए। लेकिन प्रतीक्षा से मां सबरी ने पाना चाहा तो भगवान पैदल पांव चलकर पहुंच गए। भगवान समीक्षा और परीक्षा से प्रतीक्षा से मिलते हैं। जीवन में व्यक्ति अपनी एक गलती को छिपाने के लिए सौ झूठ बोलता है। सौ झूठ को छिपाने के लिए हजार अपराध करता है। हजार अपराध करने से अच्छा है की हम एक सत्य को स्वीकार कर लें। बलिराम पाठक , सिक्कू सिंह, अजित सिंह, गुलाब सिंह,अखिलेश सिंह आदि लोग उपस्थित थे।